आमतौर पर यह माना जाता है कि महिलाएं अपने साथी से शारीरिक रूप से कहीं अधिक भावनात्मक रूप से जुड़ी होती हैं. इसके विपरीत पुरुषों के बारे में यह धारणा है कि वे केवल शारीरिक संबंधों को ही अधिक तरजीह देते हैं जबकि भावनाओं को अपने वैवाहिक जीवन में गौण रखते हैं. अगर आप भी महिलाओं और पुरुषों के संबंध में ऐसी ही धारणा रखते हैं और यह मानते हैं कि पुरुष अपने वैवाहिक संबंधों के प्रति गंभीर नहीं होते, तो हाल ही में हुआ एक शोध आपकी इस मानसिकता को बदल सकता है, साथ ही पुरुषों से जुड़ी इन नकारात्मक भ्रांतियों को भी काफी हद तक दूर कर सकता है.
इण्डियाना विश्वविद्यालय द्वारा किए गए इस शोध के नतीजे काफी चौंकाने वाले हैं. नतीजों पर गौर करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि भले ही विवाह से पहले पुरुषों के अनेक अल्पकालिक संबंध रहे हों, दोस्तों के बीच उनकी छवि प्लेबॉय की हो लेकिन विवाहोपरांत वे पूरी तरह अपने संबंध और परिवार के प्रति समर्पित हो जाते हैं. इस शोध ने यह भी स्थापित किया है कि जहां महिलाएं बच्चों के आत्म-निर्भर हो जाने के बाद शारीरिक संबंधों को अधिक तरजीह देती हैं, वहीं पुरुष अपने संबंध को लंबे तक समय बनाए रखने के लिए भावनाओं को अधिक महत्व देने लगते हैं.
शोधकर्ताओं ने पाया कि अकसर महिलाएं अपने बच्चों की देखभाल और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाते-निभाते स्वयं के लिए समय नहीं निकाल पाती और अपनी महत्वाकांक्षाओं और भावनाओं को उपेक्षित ही रहने देती हैं. लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो वे खुद को मानसिक रूप से दबाव रहित मानती हैं और अपनी उपेक्षित इच्छाओं को महत्व देने लगती हैं.
मजाक करने में भी आगे हैं पुरुष
यद्यपि यह शोध एक विदेशी संस्थान द्वारा कराया गया है इसीलिए इन नतीजों और अध्ययन को भारतीय लोगों के पारिवारिक जीवन और उनकी जिम्मेदारियों से जोड़ कर देखना प्रासंगिक नहीं होगा. क्योंकि जहां पाश्चात्य देशों में पारिवारिक जिम्मेदारियों का दायरा बहुत सीमित होता है, परिणामस्वरूप लोग जल्दी ही अपने उत्तरदायित्वों से मुक्त हो जाते हैं. लेकिन भारतीय परिवारों की मजबूत संरचना केवल पारस्परिक कर्तव्यों पर ही आधारित है. जिनका निर्वाह किसी न किसी रूप में पारिवारिक सदस्यों खासतौर पर माता-पिता को आजीवन करना पड़ता है. बच्चो के बड़े और आत्म-निर्भर हो जाने के बाद उत्तरदायित्वों का स्वरूप थोड़ा बदल जाता है लेकिन यह समाप्त कभी नहीं होता. अभिभावक हमेशा अपनी इच्छाओं से कहीं अधिक महत्व अपने बच्चों की जरूरतों को देते हैं. वहीं बच्चे भी अपने माता-पिता के सानिध्य में ही जीवन व्यतीत करने को वरीयता देते हैं. परिवार से इतर व्यक्तिगत जीवन के मायने न्यूनतम होते हैं.
वहीं दूसरी ओर महिला और पुरुष के बीच वैवाहिक संबंध भी उन दोनों का व्यक्तिगत मसला ना होकर पारिवारिक और सामाजिक होता है. इसका मुख्य कारण आज भी भारत में परंपरागत विवाह शैली की प्रधानता का होना है. इसके अंतर्गत विवाह केवल दो लोगों को ही नहीं दो परिवारों को भी जोड़ता है जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों की अपेक्षाएं और जीवन इस संबंध से जुड़ जाते हैं. संभवत: ऐसे संबंध को तोड़ना कोई छोटी या सामान्य बात नहीं हो सकती. लेकिन विदेशों में विवाह का संबंध केवल महिला और पुरुष से ही होता है. अगर दोनों में से एक भी इस रिश्ते से संतुष्ट ना हो तो संबंध विच्छेद जैसी गंभीर परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं. जो पाश्चात्य लोगों के जीवन का एक सामान्य घटनाक्रम है, इसीलिए लंबे समय तक अपने वैवाहिक संबंध को निभाना स्वाभाविक तौर पर एक बड़ी चुनौती है.
पाश्चात्य संस्थानों द्वारा किए गए यह शोध जहां एक ओर विदेशियों की जीवनशैली से हमें अवगत करवाते हैं, वहीं भारतीय संस्कृति और विदेशों की आत्म-केन्द्रित मानसिकता के बीच एक गहरे अंतर को भी साफ दर्शाते हैं. भारत एक परंपराओं से जुड़ा हुआ देश है वहीं विदेशी संस्कृति बहुत खुले विचारों वाली है. लेकिन यह अंतर दिनोंदिन कम होता जा रहा है क्योंकि हम भी अब इस खुले और व्यक्तिगत विचारों वाली संस्कृति का अनुसरण करने लगे हैं. अपने मौलिक कर्तव्यों और दूसरों के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलते जा रहे हैं. मॉडर्न और आत्मनिर्भर बनने के लिए हम अपनी परंपराओं को ही आउट डेटेड करते जा रहे हैं. जो संभवत: हमारे समाज और निश्चित रूप से हमारे परिवार में आ रही चारित्रिक गिरावट के लिए जिम्मेदार है.
सच में प्यार इंसान को अंधा बना देता है
देखा जाए तो भारत की यह प्राचीन संस्कृति इसकी अकेली की नहीं बल्कि कई देशों और धर्मों की मिली-जुली संस्कृति है. इसीलिए बाहरी चीज़ो को ग्रहण करना गलत नहीं कहा जा सकता. लेकिन विदेशों की देखा-देखी अपनी जिम्मेदारियों को खुद तक सीमित रखना और पारिवारिक दायित्वों को अनदेखा करने की इस अंधी दौड़ में शामिल होना निश्चित रूप से हमारे परिवार और समाज के लिए हानिकारक है.
be loyal and responsible to your family, importance of family.
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