अपनी संतान को अच्छी परवरिश देना, उसकी सभी सुख-सुविधाओं का ध्यान रखना, अभिभावकों का सबसे पहला कर्तव्य होता है. लेकिन इसमें भी माता की भूमिका ज्यादा महत्व रखती है. क्योंकि पिता, जिस पर परिवार की आर्थिक जारूरतें पूरी करने का दायित्व होता है, वह हर समय बच्चों के साथ रहकर उन पर ध्यान नहीं दे सकता. इसीलिए बच्चों के स्वास्थ्य, उनके आचरण और पारिवार के प्रति व्यवहार की जिम्मेदारी मां की ही होती है.
आमतौर पर अभिभावकों की इन महत्वपूर्ण जिम्मेदरियों से हम सभी भली-भांति अवगत हैं लेकिन एक नए अध्ययन के अनुसार यह तथ्य प्रमाणित हुआ है कि बच्चों को स्वस्थ जीवन देने के लिए सबसे पहले मां को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है. इतना ही नहीं संतान का स्वास्थ्य और उसका शारीरिक विकास कैसा होगा, यह उसी समय निर्धारित हो जाता है जब वह अपनी मां के गर्भ में होती है.
लंदन स्थित गाइज एंड सेंट थॉमस हॉस्पिटल द्वारा हुए इस अध्ययन द्वारा यह स्थापित किया गया है कि जिन महिलाओं का वजन ज्यादा होता है, उनके बच्चे भी अधिक वजन की समस्या से ग्रस्त रहते हैं.
इस अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन महिलाओं का वजन जरूरत से ज्यादा होता है उनके शरीर में वजन और भूख नियंत्रक हार्मोनों की क्रिया भली प्रकार संचालित नहीं हो पाती. यही हार्मोन गड़बड़ी भ्रूण को भी प्रभावित करती है जिसके परिणामस्वरूप उनकी संतान का वजन भी अधिक हो जाता है.
वैज्ञानिकों की मानें तो अधिक वजन वाली महिलाओं में लेप्टिन नामक, भूख नियंत्रित करने वाले हार्मोन का उत्पादन होता है, जिसका अधिक स्तर भ्रूण में भी वजन नियंत्रित करने वाली ग्रंथि को नुकसान पहुंचाता है. स्थिति और गंभीर इसीलिए बन जाती है क्योंकि जन्म लेने के बाद इससे बच्चे की वजन नियंत्रित करने की क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है.
संडे एक्सप्रेस में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार इस शोध की मुखिया लूसिला पोस्टन का कहना है कि सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि महिलाओं का वजन उस पड़ाव में बढ़ने लगता है जब वह अपनी संतान को जन्म देने वाली होती हैं.
यह अनुसंधान भले ही विदेशी महिलाओं को केन्द्र में रखकर किया गया हो, लेकिन शारीरिक संरचना और क्रियाएं सभी मनुष्यों में समान ही होती हैं. ऐसे में यह शोध थोड़ा लाभकारी सिद्ध हो सकता है. विशेषकर उन महिलाओं के लिए जो अपने जीवन में संतान के आगमन की प्रतीक्षा कर रही हैं. कोई भी महिला अपनी संतान के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहेगी. अब जब यह बात प्रमाणित हो ही गई है कि बच्चे को अच्छा स्वास्थ्य देने का कार्य गर्भ से ही प्रारंभ हो जाता है तो ऐसे में निश्चित है महिलाएं अपने साथ-साथ अपने बच्चों की देखभाल को भी पूरा महत्व दें. जरूरी नहीं है कि केवल वे महिलाएं जो जल्द ही मां बनने वाली हैं या उस विषय में सोच रही हैं केवल वही अपने वजन को नियंत्रित करने की सोचें बल्कि आज के समय में जब प्रतिस्पर्धा सभी के मस्तिष्क में पूरी तरह हावी हो चुकी है, तो ऐसे में स्वयं को स्वस्थ और हर चुनौती के लिए तैयार रखना बहुत जरूरी है. यह सब तभी संभव है जब आप मानसिक और शारीरिक दोनों पक्षों से स्वस्थ हों. वैसे भी स्वस्थ जीवन ही सफलता की ओर पहला कदम है.
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