अंग्रेजी में एक कहावत है हंग्री मैन इज ए एंग्री मैन (भूखे व्यक्ति को गुस्सा बहुत जल्दी आता है). आप शायद सोच रहे होंगे कि यह सब भूख के कारण होता है, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस कहावत को पढ़ने के बाद कई लोग यह समझ रहे होंगे कि जिन व्यक्तियों का पेट भरा होता है उन्हें गुस्सा नहीं आता. लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन ने यह प्रमाणित कर दिया है कि व्यक्ति को आने वाला गुस्सा उसकी भूख पर नहीं बल्कि उसके मस्तिष्क में मौजूद एक सेरोटोनिन नामक रासायनिक पदार्थ पर आधारित होता है.
लंदन में हुए इस अनुसंधान के अंतर्गत कुछ स्वस्थ स्वयंसेवियों को शामिल कर उनकी डाइट में थोड़ा फेरबदल किया गया. कुछ समय बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने खाना नहीं खाया या जिन्हें अपने खाने में फेरबदल अच्छा नहीं लगा उनके मस्तिष्क में सेरोटोनिन की मात्रा कम हो जाती है, जिसकी परिणामस्वरूप उन्हें अन्य व्यक्तियों की तुलना में ज्यादा गुस्सा आता है.
शोधकर्ताओं ने संबंधित तकनीक के द्वारा स्वयंसेवियों के मस्तिष्क को स्कैन किया और क्रोधी, दुखी, परेशान आदि जैसे भावों के आधार पर उनके मनोभावों का आंकलन किया. उन्होंने पाया कि सेरोटोनिन का स्तर कम होने के कारण मस्तिष्क के भीतर भावनात्मक पक्ष को नियंत्रित करने वाले अंग और कृत्य के परिणाम को पहले से ही समझने वाले अंग के बीच संपर्क नहीं हो पाता जिसके कारण व्यक्ति बिना सोचे-समझे गुस्सा करता है. ऐसे में व्यक्ति अपनी भावनाओं विशेषकर क्रोध को दबा या छुपा नहीं पाता. ना चाहते हुए भी उसे अपने क्रोध को सामने लाना ही पड़ता है.
वैज्ञानिकों ने ना सिर्फ विशेष परिस्थितियों में व्यक्ति के क्रोधी स्वभाव का आंकलन किया बल्कि उन्होंने कई ऐसे लोगों के स्वभाव का निरीक्षण किया जो पहले से ही गुस्सैल स्वभाव के हैं. इस दौरान उन्होंने पाया कि ऐसे व्यक्तियों में भावनात्मक पक्ष को नियंत्रित करने वाले अंग और परिणाम के बारे में समझने वाले अंग के बीच संपर्क बहुत कम हो पाता है. जिसके कारण वह अपने क्रोधी स्वभाव को नियंत्रित नहीं कर पाते. परिणामस्वरूप वे व्यक्ति जो अपने क्रोधी स्वभाव के प्रति अधिक संवेदनशील हैं वह इस पर काबू पाने की कोशिश नहीं करते.
उपरोक्त अध्ययन को आधार मानकर हम यह तो समझ सकते हैं कि क्रोध व्यक्ति के काबू में नहीं रहता. कई बार हालात ऐसे पैदा हो जाते हैं, जिनमें चाहते हुए भी वह स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख पाता. लेकिन केवल इसी को बहाना मानकर हम इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते कि यही क्रोध व्यक्ति को नकारात्मक परिस्थितियों में उलझा देता है. उसके क्रोधी स्वभाव के कारण कोई भी उससे बात करना पसंद नहीं करता या उसके साथ प्रसन्न नहीं रहता. परिवार के भीतर भी उससे बात करना या परेशानी बांटना सहज नहीं समझा जाता. हालात तब और अधिक बिगड़ जाते हैं जब वह अपने क्रोधी स्वभाव के कारण कोई ऐसा कृत्य कर बैठता है जो कि उसे ना करना हो.
इसीलिए अपनी कमियों को बहानों से ढकने की बजाय उन्हें सुधारने और स्वयं पर नियंत्रण रखने का प्रयत्न किया जाना चाहिए. एक हंसमुख और मिलनसार व्यक्ति सभी को प्रसन्न आता है. लेकिन क्रोधी आचरण किसी को सहन नहीं होता. यह पारिवरिक कलह को तो बढ़ाता ही है साथ ही आपकी प्रतिष्ठा और सामाजिक संबंधों को भी नुकसान पहुंचाता है.
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