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कोशिशें तो की होंगी पर बात नहीं बनी…..

आप हमेशा सोचते होंगे कि मैंने तो लगातार कोशिशें की थीं पर हमेशा ‘मैं ही क्यों रुक जाता हूं और मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है कि मुझे ही हार का सामना करना पड़ता है’? आपने यह सब सोचा तो होगा पर कभी भी उसके पीछे का कारण जानने की कोशिश नहीं की होगी. अब आप ऐसा फंडा जानेंगे जो हमेशा आपकी हार को जीत बनाएगा और फिर किसी ने सच ही कहा है ‘कि कोशिशे तो हर कोई करता है पर जीत बस कुछ की ही होती है’.


failआप डांस सीखना चाहते हैं, क्लास में जाकर जमकर मेहनत करते हैं. जहां आपके साथी क्लास के बीच कुछ समय का विराम भी लेते हैं लेकिन आप जल्दी-जल्दी सीखने के चक्कर में ब्रेक के समय भी डांस करते हैं. लेकिन फिर भी आप अपने अन्य साथियों से आगे नहीं निकल पाते. ऐसे ही जिम में जाकर आप पसीना तो बहुत निकालते हैं, आप भी अपने अन्य दोस्तों की तरह आकर्षक दिखना चाहते हैं इसीलिए जिम में बिना रुके भारी-भरकम कसरत भी करते हैं. इतना ही नहीं देर से घर लौटने के पश्चात भी आप जल्दी सुबह उठकर जिम भी भाग जाते हैं ताकि आप अपने वजन को फटाफट कम कर लें. लेकिन जब परिणाम की बारी आती है तो आपकी सारी अपेक्षाएं अधूरी ही रह जाती हैं. जिन अपेक्षित नतीजों के लिए आपने अपना आराम तक गंवा दिया वह तो आपको हासिल नहीं होते साथ ही आप यह देख कर भी दंग रह जाते हैं कि जिन लोगों को आप अपने उद्देश्यों के प्रति सीरियस नहीं समझते थे वही आपसे दो कदम आगे निकल जाते हैं.



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आप जानना चाहते हैं कि ऐसा क्यों होता है? हाल ही में हुई एक रिसर्च ने यह दावा किया है कि वे लोग जो किसी काम या कला को सीखने के बीच में कुछ देर का विराम ले लेते हैं वह अन्य लोगों की अपेक्षा जल्दी उस कला में माहिर हो जाते हैं.


सिडनी(ऑस्ट्रेलिया) स्थित न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने एक अध्ययन में यह प्रमाणित किया है कि लगातार अभ्यास करना सीखने की क्षमता को बाधित करता है और व्यक्ति सीखे हुए काम को भी भूलने लगता है. लगातार अभ्यास करने के कारण वह अपेक्षित परिणामों को भी हासिल नहीं कर पाता.


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winइस रिसर्च के मुख्य वैज्ञानिक सोरेन ऐश्ले और जोएल पियरसन का कहना है कि अगर व्यक्ति नई कला सीखने की कोशिश करता है तो इससे उसका दिमाग दुबारा व्यवस्थित होने की कोशिश करता है. मनोविज्ञान की भाषा में इस पूरे घटनाक्रम को न्यूरल प्लास्टिसिटी कहा जाता है. नई सीखी गई या सीखे जाने वाली कला को लंबे समय तक याद रखने के लिए इस तात्कालिक दिमागी बदलावों को स्थायी बदलाव में परिवर्तित करना होना है जिसके लिए बीच-बीच में अपने मस्तिष्क को आराम देना पड़ता है.


शोध पत्रिका द रॉयल सोसाइटी बी में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार अगर इन दिमागी बदलावों को स्थायित्व नहीं मिलता तो सीखी गई चीजें स्थायी नहीं रहतीं. जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति बहुत जल्द ही सीखे गए कामों को भूल जाता है या उन पर अमल नहीं कर पाता.


आप बिना रुके या बिना आराम किए लगातार सीखते रहते हैं लेकिन फिर भी आपको अपना मनचाहा परिणाम नहीं मिल पाता. शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि नींद की कमी भी याद्दाश्त को कमजोर बनाती है और आप सब कुछ भूल जाते हैं.


शोध की स्थापनाओं के अनुसार यह स्पष्ट किया गया है कि अगर आप बिना रुके कोई कला सीखते हैं तो यह बिलकुल वैसा ही है जैसे आपने कुछ नहीं सीखा. इतना ही नहीं जरूरत से ज्यादा अभ्यास करने से भी सीखने की गति धीमी होती है.


उपरोक्त अध्ययन भारतीय लोगों के अनुरूप भी सही कहा जा सकता है. इसे विदेशी अध्ययन मानकर नजरअंदाज करना वैसे भी सही नहीं कहा जा सकता.


यह बात सही है कि बिना मेहनत किए कुछ भी हासिल नहीं हो सकता लेकिन आज जब युवा एक अजीब सी प्रतिस्पर्धा में शामिल हो चुके हैं तो ऐसे में अपना आराम गंवा देना पहले तो आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा. इसके अलावा जिस प्रतिस्पर्धा को जीतने के लिए आपने इतनी मेहनत की है वह भी आपके हाथ से निकल जाएगी. इसीलिए मेहनत जरूर करिए लेकिन सोच-समझकर.



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Please post your comments on: क्या आप भी इस जीत के फंडे को अपनी लाइफ में आजमाना चाहेंगे ?



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