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पहले सोचें फिर निर्णय लें…

तेजी से बदलती हुई जीवनशैली (Lifestyle)  के चलते लोगों की सोच में भी परिवर्तन आने लगा है. अब व्यक्तिगत संबंधों (Personal Relationship) की अहमियत लगभग खत्म हो गई है, विपरीत परिस्थितियों के चलते पैदा हुई गलतफहमी (Misunderstandings) या मनमुटाव को दूर करने की बजाए लोग एक-दूसरे से किनारा करने लगे हैं.


हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, आपसी प्रतिबद्धता (Commitment)  और मतभेदों को दूर करने की क्षमता, दो ऐसे महत्वपूर्ण मानक हैं जिनके आधार पर ही किसी रिश्ते कि नियति (Destiny) निर्धारित की जा सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक अगर दोनों व्यक्तियों की एक-दूसरे के प्रति समान प्रतिबद्धता हो तो संबंध अधिक मधुर और स्थिर (Stable) रहते हैं, जबकि किसी संबंध में आने वाली कटुता का सबसे बड़ा कारण दोनों की प्राथमिकताओं (Priorities)में असमानता होना है.


couple holding handsदाम्पत्य की गाड़ी दो पहियों पर चलती है और एक पहिया भी ठीक से काम न करे तो कई मुश्किलें पैदा हो जाती हैं. वैयक्तिक उत्तरदायित्व (Individual Responsibility) के बावजूद रिश्ते को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं बल्कि दोनो की बराबर रूप से होती है.


एक-दूसरे की तरफ पूर्ण समर्पण  हो तो प्रतिकूल (Adverse) परिस्थितियां भी आसान लगती हैं, और अगर रिश्ते का आधार ही कमजोर है अर्थात रिश्ते में संजीदगी (Seriousness) की कमी है, तो कोई इस ओर ध्यान नहीं देता और चीज़ें अपने आप ही ठीक हो जाती हैं. पर एक की अति-प्रतिबद्धता और दूसरे की अनदेखी (Ignorance)  के चलते स्थिति बिगड़ने लगती है और भावनात्मक  (Emotional) रूप से नुकसान पहुंचता है.


हमारे द्वारा बनाए गए रिश्ते ही हमें पहचान देते हैं, साथ ही हमारी खुशियों और गम का करण भी बनते हैं. इसलिए अपनी प्राथमिकताओं और वरीयताओं (Preferences) को तय करने के बाद ही साथी(Spouse) का चुनाव करना एक समझदार व्यक्ति की पहचान है, ताकि आगे चलकर यह रिश्ते आपकी खुशियों का ही कारण बनें ना की गम का.


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