आज की भागदौड़ और तनाव भरी जीवनशैली के चलते बहुत से ऐसे लोग हैं जो नींद ना आने की समस्या से जूझ रहे हैं. हो सकता आपको यह परेशानी गंभीर ना लगती हो लेकिन एक नए अध्ययन के बाद यह साबित हो गया है कि नींद ना आने जैसी हालत कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर नींद कम आने या फिर ना आने जैसी परिस्थितियों को गंभीरता से ना लिया गया तो यह अवसाद मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है.
‘द लानसेट`’ नामक चिकित्सीय पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार चिकित्सकों ने ऐसे मरीजों का निरीक्षण किया जो अब मधुमेह और अवसाद जैसे रोगों से ग्रसित हैं. इस दौरान उन्होंने पाया कि वे लोग जो नींद ना आने की शिकायत करते हैं उनके मधुमेह और अवसाद की चपेट में आने की संभावना अत्याधिक बढ़ जाती है.
कनाडा में लावाल विश्वविद्यालय तथा अमेरिका में विसकोनसिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि अनिद्रा से लोगों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. समय रहते ही अगर इसका इलाज ना करवाया गया तो यह नकारात्मक रूप ले लेता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे अनिद्रा से जुड़ी परेशानियों पर काबू पाने के बावजूद इसे हमेशा हलके में ही लिया जाता है. लोग इसका इलाज ही नहीं करवाना चाहते. इतना ही नहीं विशेषज्ञ भी इसके मरीज पर ज्यादा ध्यान नहीं देते और उन्हें नींद की दवाइयां खिलाकर सोने को कहते हैं. जबकि यह पूरी तरह गलत है.
अध्ययन की स्थापनाओं किए अनुसार छह से आठ घंटे सोने वाले लोग अधिक स्वस्थ और लंबा जीवन जीते हैं. सामान्य तौर पर हमें सात घंटे की नींद चाहिए होती है.
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार अनिद्रा का सामना कर रहे रोगियों में घबराहट और अवसाद जैसे लक्षण अन्य लोगों के मुकाबले पांच गुना से भी ज्यादा दिखाई देते हैं. उन्हें दिल का दौरा पड़ने की संभावना भी अधिक रहती है. अनुसंधानकर्ताओं ने सुझाव भी दिया है कि रोगियों की काउंसलिंग करने के लिए टेलीफोन पर ग्रुप थेरेपी तथा इंटरनेट के जरिए खुद की मदद जैसे तरीके अपनाए जाने चाहिए.
हालांकि यह अध्ययन विदेशी संस्थान द्वारा विदेशी लोगों पर संपन्न किया गया है, लेकिन इसके नतीजों को हम भारतीय परिदृश्य के अनुसार भी देख सकते हैं. ऐसा नहीं है कि भारत में अनिद्रा जैसी समस्याएं दुर्लभ बीमारियों में एक हैं. बहुत से लोग इसका सामना कर रहे हैं. अगर समय रहते ही इस ओर ध्यान दिया जाए तो शायद आधी से ज्यादा परेशानियां वैसे ही समाप्त हो जाएं.
Read Hindi News
Read Comments