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हस्बैंड मैटेरियल की तलाश में ब्वॉय फ्रेंड का दिल भी तोड़ती हैं महिलाएं

happy coupleयुवा पीढ़ी का प्रेम संबंधों के प्रति रुझान अब एक सामान्य बात बन गई है. कुछ समय पहले तक भले ही विवाह से पहले महिला और पुरुष का एक-दूसरे के साथ मिलना गलत समझा जाता हो लेकिन आज सामाजिक और पारिवारिक मानसिकता बहुत हद तक खुली और परिमार्जित हो चुकी है. आज ना सिर्फ प्रेम संबंधों को स्वीकार्यता मिलने लगी है बल्कि एक समय पहले तक अपराध समझे जाने वाले प्रेम-विवाहों को भी सम्मानपूर्वक स्वीकार कर लिया गया है.


अब प्रेम विवाह की बात हो ही रही है तो यह जानना भी जरूरी है कि क्या सभी प्रेम संबंध विवाह में संपन्न होते हैं अगर नहीं तो इसके पीछे क्या कारण है?


पुरुषों के विषय में यह बात सर्वमान्य है कि वे प्रेम संबंधों को कभी भी गंभीरता से नहीं लेते. उनके लिए समर्पण या प्रतिबद्धता जैसे भाव कोई मायने नहीं रखते, जिसकी वजह से वह कभी भी अपनी प्रेमिका को धोखा दे सकते हैं. यद्यपि यह मान्यता पूरी तरह गलत नहीं है लेकिन वर्तमान युग की मॉडर्न और समझदार महिलाएं भी प्रेमी और पति में अंतर रखना भली-भांति समझ चुकी हैं. उनके लिए भी प्रेम संबंधों को विवाह में तब्दील करना कोई ज्यादा महत्व नहीं रखता.


विशेषकर दिल्ली जैसे महानगरों में रहने वाली महिलाएं हैंडसम और मॉडर्न पुरुष को ही अपना ब्वॉय फ्रेंड बनाना चाहती हैं लेकिन जब पति चुनने की बारी आती है तो जिम्मेदार और संबंधों पर विश्वास रखने वाला पुरुष उनकी पहली प्राथमिकता रहती है.


एक नए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि महिलाएं भले ही अपने ब्वॉय फ्रेंड के प्रति कितनी ही ईमानदार क्यों ना हों लेकिन अगर उनकी नजर में उनका हैंडसम ब्वॉय फ्रेंड हस्बैंड मैटेरियल नहीं है तो वह उसके साथ विवाह करने की सोचती भी नहीं हैं.


महिलाओं का मानना है कि पूरी जिंदगी प्यार के सहारे नहीं चल सकती. इसीलिए संबंधों में विश्वास रखने वाला व्यक्ति जो परिपक्व और जिम्मेदार हो और सही तरीके से अपने परिवार की देखभाल कर सके वह ही एक बेस्ट हसबैंड मैटेरियल कहलाता है.


पुरुषों का अन्य महिलाओं के प्रति आकर्षित होना उनका प्राकृतिक स्वभाव समझा जाता है लेकिन महिलाएं चाहती हैं कि उनका पति वन वूमेन के आदर्श पर चलने वाला हो.

आपसी संबंध विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं का अपनी पसंद और भविष्य के लिए जागरुक होना एक सकारात्मक लक्षण है. अगर वह अपने संबंधों में भावनाओं से ज्यादा व्यवहारिकता को तरजीह देती हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है.


वैसे अगर व्यवहारिक तौर पर देखें तो महिलाओं की ऐसी बदलती मानसिकता और लीक से हटकर सोचना एक परिमार्जित लक्षण है. प्रेम का जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन यह भी सही है कि केवल इसी आधार पर किसी से विवाह कर लेना कि आप उससे प्रेम करते हैं परिपक्वता नहीं कही जा सकती. भारतीय परिदृश्य में विवाह बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह दो व्यक्तियों को आजीवन एक-दूसरे से जोड़ देता है. इसीलिए विवाह के लिए आपसी समझ और प्रतिबद्धता का होना बहुत जरूरी होता है और अगर जिस व्यक्ति से आप प्रेम करते हैं उसमें यही गुण नहीं है तो उससे विवाह कर अपनी खुशियों को समाप्त करना सही नहीं है. बेहतर है एक ऐसे व्यक्ति से विवाह किया जाए जो अपनी जिम्मेदारियों को समझकर पूरी तन्मयता के साथ वैवाहिक संबंध का निर्वाह करे.


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