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भारी पड़ सकता है सुंदर महिलाओं पर खर्चा करना !!

आज के प्रतिस्पर्धा प्रधान युग में खुद को दूसरे से बेहतर साबित करना और अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक सफल बनने की चाह समान रूप से आज के युवाओं की पहली प्राथमिकता बन गई है. शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो इस प्रतिस्पर्धा का हिस्सा ना हो या इसे जरूरी नहीं समझता हो.


how to impress girlलेकिन अगर आप ऐसा समझ रहे हैं कि खुद को अन्य लोगों से बेहतर साबित करने की प्रतिस्पर्धा या इच्छा केवल पढ़ाई या फिर कॅरियर तक ही सीमित है तो आपको अपने सामान्य ज्ञान में थोड़ी वृद्धि करने की आवश्यकता है. एक नए अध्ययन की मानें तो युवा कॅरियर को अपनी प्राथमिकता दें या ना दें लेकिन खुद को दूसरे युवाओं से ज्यादा आकर्षक दिखाने और उनसे कहीं ज्यादा लोकप्रिय बनने के लिए कुछ भी कर सकते हैं.


युवकों के संदर्भ में बात की जाए तो हम इस तथ्य को नकार नहीं सकते कि वे युवतियों को आकर्षित करने के लिए बहुत मेहनत और उससे भी ज्यादा खर्चा करते हैं. शोध में यह बात सामने आई है कि युवक महिलाओं के बीच लोकप्रिय बनने के लिए खर्च करते ही हैं लेकिन फिर भी वे उन महिलाओं में ज्यादा दिलचस्पी लेते या अधिक व्यय करते हैं जो आसानी से इम्प्रेस नहीं होतीं.


शोधकर्ताओं का कहना है कि पुरुष खूबसूरत लड़कियों के प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं और उन्हें भी अपनी ओर आकर्षित करने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए वे उन पर और अपनी साज-सज्जा पर बहुत अधिक व्यय करते हैं.


शोधकर्ताओं का मानना है कि सुंदर लड़कियों की कमी और उन्हें खोने के डर के कारण ही युवक अपने दोस्तों और अन्य युवकों से प्रतिस्पर्धा करने लगते हैं. आकर्षक और बेहद सुंदर लड़कियों को इम्प्रेस करना इतना आसान नहीं होता इसीलिए युवक उन्हें पाने के लिए धन और दिखावे का सहारा लेते हैं.


विपरीत लिंग को अपनी ओर आकर्षित करने की यह प्रकृति केवल मनुष्य में ही नहीं बल्कि जानवरों में भी होती हैं. आमतौर पर देखा जाता है कि मादा की कमी होने के कारण नर बहुत हद तक प्रतियोगी बन जाते हैं. लेकिन उनकी प्रतियोगिता दिखावे पर नहीं बल्कि योग्यता और बल पर आधारित होती है.


इस अध्ययन पर अगर गौर किया जाए तो युवावस्था में आकर्षण और दिखावा करना एक सामान्य घटनाक्रम है. युवाओं में इम्प्रेस करने और रिझाने की प्रवृति अपेक्षाकृत अधिक देखी जाती है. लेकिन उनकी इस प्रवृति को स्वाभाविक लक्षण समझकर हर बार नजर अंदाज करना सही नहीं कहलाएगा.


युवावस्था उम्र का सबसे सुनहरा पड़ाव होता है. अगर इस उम्र में आकर्षण का भाव विकसित होता है तो कॅरियर की मजबूत नींव भी इसी समय निर्धारित होती है. जरा सी लापरवाही नुकसानदेह साबित हो सकती है. प्रेम रूपी भावनाओं के विकसित होने में समय लगता है इसीलिए उनके आकर्षण को प्रेम का नाम नहीं दिया जा सकता और केवल शारीरिक आकर्षण के आधार पर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाए तो इसे नासमझी या अपरिपक्वता कहना ही सही रहेगा. युवाओं के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी या ध्यान रखना चाहिए कि उनकी संतान अपने मार्ग से ना भटके. निश्चित रूप से उनकी यह भावनाएं अल्पकालिक ही होती हैं और इनके लिए आगामी उज्जवल जीवन के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए.

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