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आपसी प्यार बढ़ाना हो तो पत्नी से जी भर कर लड़ें!!

fighting coupleकहते हैं प्रेम संबंध में छोटी-मोटी नोंक-झोंक रिश्ते को और अधिक मजबूत व स्थायी रखती है. एक-दूसरे से बेहद प्रेम करने वाले प्रेमी जोड़े के बीच जब किसी बात को लेकर बहस होती है तो यह उनमें दूरियां नहीं बल्कि आपसी समझ को बढ़ाती हैं. ना सिर्फ प्रेम संबंधों में बल्कि वैवाहिक जीवन में भी होने वाले झगड़े विवाहित दंपत्ति को और नजदीक लाते हैं. वे एक-दूसरे को और अच्छी तरह समझने का प्रयास तो करते ही हैं साथ ही साथी की परेशानी को सुलझाने की कोशिश करते हैं.


लेकिन अगर आप इस बात से सहमति नहीं रखते और निजी संबंधों में होने वाले झगड़ों को घातक समझते हैं तो आपको एक बार दोबारा सोचने की जरूरत है क्योंकि भारतीय विवाहित जोड़ों पर हुए एक अध्ययन में लगभग 44 प्रतिशत जोड़ों ने यह माना है कि सफल विवाहित जीवन के लिए सप्ताह में एक या दो बार झगड़ा होना बेहद अनिवार्य है.


मेट्रिमोनियल साइट shadi.com की ओर से चलाए गए ‘शादी आजकल’ नाम के सर्वे के अंतर्गत यह नतीजा निकाला गया है कि अगर वैवाहिक जीवन में नोंक-झोंक जारी रहे तो इससे दंपत्ति के बीच संवाद और बातचीत जारी रहती है


संबंध में छोटे-छोटे झगड़ों को जरूरी समझने वाले लोगों का तर्क है कि अगर विवाहित दंपत्ति के बीच किसी बात को लेकर बहस होती है तो यह किसी भी रूप में उनके लगाव को कम नहीं कर पाती. इसके विपरीत वह दो साथ रहने वाले लोगों को एक-दूसरे के निकट आने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है. स्वभाव और दृष्टिकोण में अत्याधिक भिन्नता होने के बावजूद यह आपसी संवेदना को भी बढ़ाते हैं. इतना ही नहीं यह विवाद उन दोनों के बीच मतभेदों को भी मिटाते हैं. वहीं अगर बातचीत कर विवाद का निपटारा ना किया जाए तो छोटे से झगड़े के बाद गलतफहमियां पैदा हो जाती हैं. संभवत: यह झगड़े कुछ देर के लिए आपको परेशान करें लेकिन इससे यह बात स्पष्ट होती है आप दोनों एक-दूसरे की केयर करते हैं.


लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ दंपत्ति में होने वाले झगड़े में भी कमी आने लगती है. सर्वेक्षण के अनुसार 41-45 आयु वर्ग के मात्र दो प्रतिशत लोग ही यह स्वीकार करते हैं कि वे दोनों एक-दूसरे से झगड़ते हैं. इसका कारण समय के साथ-साथ बढ़ने वाली समझ और लगाव है.


उल्लेखनीय बात यह है कि विवाहित दंपत्ति किसी भी झगड़े को सुलझाने की कोशिश करते हैं लेकिन एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर और अन्य व्यक्तियों के साथ शारीरिक संबंध कभी भी सहन नहीं कर सकते. इसके अलावा ससुराल पक्ष का नकारात्मक व्यवहार भी विवाह तोड़ने का काम करता है.

इस अध्ययन की मुख्य स्थापनाओं के अनुसार दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े महानगरों में रहने वाले 32-33 प्रतिशत दंपत्ति महीने में एक से भी कम बार एक-दूसरे से लड़ते या बहस करते हैं. तो क्या इसका अर्थ यह है कि महानगरों में रहने वाले विवाहित दंपत्ति एक-दूसरे से प्रेम नहीं करते या अपनी अति व्यस्त दिनचर्या होने के कारण उनके पास विवाद सुलझाने का समय तक नहीं है.

इस अध्ययन के बाद यह बात स्वत: ही स्पष्ट हो जाती है कि जहां वैवाहिक संबंध में प्रेम रूपी भावनाओं का बड़ा महत्व रहता है वहीं छोटे-मोटे झगड़े भी आपसी जुड़ाव और करीबी को बढ़ाते हैं. लेकिन यह किस हद तक हो यह स्वयं दंपत्ति को ही निर्धारित करना पड़ता है. अगर हर छोटी बात को बेवजह बढ़ावा दिया जाए तो यह संबंध पर नकारात्मक प्रभाव ही डालता है. इसीलिए पूरी परिपक्वता के साथ संबंध का निर्वाह करना चाहिए.

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