भारतीय लोगों के स्वस्थ शरीर और मोटापे को जांचने के लिए अमेरिकी दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा था लेकिन अब जब भारत में सर्वआयामी आत्मनिर्भरता का सिलसिला प्रारंभ हो गया है तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी इसके प्रभाव देखे जा सकते हैं.
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च से संबद्ध पत्रिका में प्रकाशित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत अब भारतीय लोगों में ओवर वेट और मोटापे को जांचने के पैमाने में महत्वपूर्ण बदलाव देखे जा सकते हैं.
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी इन दिशा निर्देशों को एक्सपर्ट्स की सहायता से बनाया गया है जो पूर्व स्वीकृत अमेरिकी गाइडलाइन से बहुत हद तक भिन्न है. मोटापे को जांचने के लिए नए पैमानों के अनुसार अब उन लोगों को भी मोटापे का शिकार माना जाएगा जिनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) तो ठीक है लेकिन उनकी कमर की माप हिप्स से ज्यादा है. हिप-वेस्ट मेजरमेंट में यह गड़बड़ी ट्रंकल ओबेसिटी कहलाती है अर्थात कमर के अलावा अगर शरीर के बाकी हिस्सों का माप नहीं बढ़ता तो भी आप ओवर वेट ही कहलाएंगे.
उल्लेखनीय है कि भारतीय गाइडलाइन आने से पूर्व अमेरिका द्वारा जारी निर्देशों का पालन किया जाता था जिनके अनुसार वे पुरुष जिनकी कमर की माप 85 सेंटीमीटर से ज्यादा है वे मोटापे के शिकार माने जाते थे वहीं 95 सेंटीमीटर से अधिक माप वाली महिलाएं ओवर वेट कहलाती थीं लेकिन अब यह मेजरमेंट बदलकर पुरुषों के लिए 80 सेंटीमीटर और महिलाओं के लिए 90 सेंटीमीटर हो गया है.
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च द्वारा जारी गाइडलाइन के अंतर्गत:
नई गाइडलाइन के लाभ
एक्स्पर्ट्स का मानना है कि यह नए दिशा निर्देश भारतीय लोगों को फिट रखने में सहायक हो सकते हैं. पूर्व प्रचलित अमेरिकी गाइडलाइन के कारण भारतीय लोगों को कम बीएमआई में ही कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. ऐसे में उनका इलाज करना आवश्यक होता था लेकिन बीएमआई निर्देश के कारण डॉक्टर उनका इलाज नहीं कर पाते थे. अब चिकित्सकों को ऐसी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
बॉडी मास इंडेक्स या बीएमआई मापने का फॉर्म्यूला
बीएमआई निकालने के लिए अपने हाइट (मीटर) को उतने अंक के साथ गुणा करें और फिर उसे अपने वजन (किलोग्राम) के साथ भाग दें.
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