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क्या महिला को हासिल करने के लिए ही लड़ते हैं पुरुष ?

फिल्मों, स्कूल-कॉलेजों के संदर्भ में आपने कई बार ऐसे किस्से जरूर सुने होंगे जिनके अंतर्गत दो पुरुष एक ही महिला को पसंद करते हैं और उसे हासिल करने के लिए हर संभव प्रयत्न करते हैं. लेकिन अगर फिर भी बात नहीं बनती तो वे या तो आपस में ही लड़ने लगते हैं या फिर किसी प्रतिस्पर्धा का चयन कर उसमें विजयी होने वाले लड़के को इनाम के रूप में युवती का साथ मिलता है. वैसे तो आपने पौराणिक कथाओं में भी यह जरूर देखा और सुना होगा कि बेटी के विवाह योग्य हो जाने के बाद उसके पिता स्वयंवर का आयोजन कर उसके लिए सुयोग्य वर की तलाश करते हैं. स्वयंवर में आए राजकुमार किसी विशेष प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं और विजय के पश्चात राजकुमारी से विवाह करते हैं.


two men fightingउपरोक्त तथ्यों और विवेचन के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि आपसी झगड़ों और दो गुटों में होने वाली लड़ाइयों की ज्यादातर वजह या तो कोई लड़की होती है या फिर प्रेम संबंध. अगर हम हाल ही में हुए एक अध्ययन और उससे जुड़े नतीजों पर गौर करें तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि पुरुषों के आपस में लड़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण शारीरिक संबंध स्थापित करने की चाहत होती है.


ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से संबंद्ध इंस्टीट्यूट ऑफ कॉग्निटिव एंड इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी के शोधकर्ताओं ने अपने एक शोध के बाद यह दावा किया है कि पुरुषों का एक-दूसरे से लड़ना-झगड़ना अधिकांशत: सेक्स और विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण के कारण ही होता है. वैज्ञानिकों का तो यह भी कहना है कि मनुष्य के भीतर यह स्वभाव पशुओं से आया है.


डेली टेलीग्राफ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार आधुनिकता और विकास से बहुत पहले आपसी हिंसा ने पुरुषों को अपना जीवन साथी हासिल करने में बहुत सहायता की, लेकिन वर्तमान समय के मद्देनजर अब अगर हिंसा को बढ़ावा दिया जाता है तो यह मानव जीवन के लिए हितकर नहीं होगा. पहले जब कबीले और सामुदायिक गुट प्रभावी अस्तित्व रखते थे तब किसी महिला को पाने के लिए पुरुष आपस में लड़ते थे लेकिन अब अगर ऐसी प्रवृत्ति को समर्थन मिला तो यह वैयक्तिक और सामाजिक दोनों ही रूप में नकारात्मक सिद्ध होगा.


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