वैसे तो पुरुषों का महिलाओं के प्रति शारीरिक रूप से आकर्षित होना कोई हैरान करने वाली बात नहीं है. आमतौर पर हम सभी यह तथ्य स्वीकार करते हैं कि पुरुष कभी भी अपनी साथी के प्रति प्रतिबद्ध और समर्पित नहीं रह सकते. किसी नए साथी की तलाश उनकी प्राथमिकताओं का एक बड़ा हिस्सा होती है. यही वजह है कि वह बहुत ज्यादा समय तक किसी एक महिला के साथ संबंध नहीं रखना चाहते या यूं कहें कि रख ही नहीं पाते.
लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन के नतीजों पर नजर डालें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि शारीरिक संबंधों के प्रति पुरुषों का रुझान इतना ज्यादा होता है कि उन्हें इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता कि जिस महिला के साथ वे संबंध स्थापित करने जा रहे हैं वे उसे जानते भी हैं या नहीं?
लंदन में हुए इस अध्ययन के अंतर्गत राह चलते कुछ पुरुषों को सुंदर और आकर्षक महिलाओं ने स्वयं संबंध स्थापित करने का प्रस्ताव दिया. निश्चित था कि पुरुष उन महिलाओं से ना तो पहले कभी मिले हैं और ना ही उनके विषय में कुछ भी जानते हैं. लेकिन फिर भी हर 10 में से 8 पुरुषों ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. हालांकि जब साधारण सी दिखने वाली महिलाओं ने उन्हें अपने साथ चलने के लिए आमंत्रित किया तो काफी ज्यादा पुरुषों ने उनके निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया.
वहीं दूसरी ओर जब किसी अनजान पुरुष ने महिलाओं को अपने साथ संबंध स्थापित करने के लिए कहा तो 120 महिलाओं में से मात्र 1 महिला ने ही उसके प्रस्ताव को स्वीकार किया.
डेली स्टार में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों का कहना है कि शोध द्वारा स्थापित यह तथ्य महिला और पुरुषों के बीच स्वभाव और व्यक्तित्व भिन्नता को साफ प्रदर्शित करते हैं. शोधकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया है कि महिला और पुरुष में शारीरिक संबंधों के प्रति आकर्षण और रुझान बहुत अलग-अलग होता है. जहां पुरुष इस दृष्टिकोण से ज्यादा सक्रिय और उत्सुक होते हैं वहीं महिलाएं साथी को जानने और समझने के बाद ही इस ओर सोचती हैं. पुरुष किसी अनजान महिला के साथ उसके स्थान पर जाने में कोई संकोच नहीं करते लेकिन महिलाएं ऐसा सोचती भी नहीं हैं.
विदेशी पृष्ठभूमि को दर्शाता यह शोध साफ करता है कि विदेशों में आपसी संबंधों जैसे भाव समाप्त हो चुके हैं. निजी स्वार्थ और शारीरिक आकर्षण अब संबंधों के मर्म को पूरी तरह समाप्त कर चुका है. लेकिन अगर भारतीय परिदृश्य पर नजर डाले तो हम आज भी अपनी परंपरा और नैतिकता को संभाल कर रखे हुए हैं. जहां तक शारीरिक संबंधों की बात है तो यहां आज भी यह विवाह के उपरांत केवल पति-पत्नी के बीच का मसला ही माना जाता है. हालांकि हमारे युवाओं ने इस वन नाइट स्टैंड जैसी संस्कृति को स्वीकार्यता देकर भारत की परंपरा और मान्यता पर आघात किया है लेकिन फिर भी विदेशों की भांति खुलेआम अश्लीलता का प्रदर्शन करना कभी भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं बन सकता. यही कारण है कि इस शोध को भारतीय परिदृश्य के संदर्भ में देखना निरर्थक और निंदनीय ही कहा जाएगा.
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