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क्यों नहीं समझतीं महिलाएं खुद को काबिल !!

समय बदलने के साथ-साथ महिलाओं को भी सामाजिक और राजनैतिक तौर पर बराबरी का अधिकार मिलने लगा है. कुछ समय पहले तक जो महिलाएं अकेले घर के बाहर कदम रखने की हिम्मत भी नहीं कर पाती थीं आज वही महिलाएं ना सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं बल्कि पुरुषों के आधिपत्य वाले समाज में अपने लिए एक पृथक और सम्मानजनक स्थान बनाने के लिए भी प्रयासरत हैं. बहुत हद तक उन्हें अपने इन प्रयासों का सुखद परिणाम भी प्राप्त हो चुका है. जिसके कारण आज लगभग हर सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक क्षेत्र में महिलाएं अपनी महत्वपूर्ण और प्रभावकारी उपस्थिति दर्ज करवाने में सफल रही हैं.


less confident womanलेकिन एक नए अध्ययन ने यह दावा किया है कि आज भी महिलाएं खुद को घर-परिवार के भीतर ही सुरक्षित समझती हैं और पूरी तरह आत्मनिर्भर हो कर कोई भी निर्णय लेना पसंद नहीं करतीं. विशेषकर राजनीति में आकर नेतृत्व करना उन्हें बिलकुल भी सहज नहीं लगता इसीलिए ज्यादातर महिलाएं राजनैतिक महत्वाकांक्षाएं नहीं रखतीं.


अमेरिका के कुछ प्रतिष्ठित संस्थानों से संबंद्ध शोधकर्ताओं ने ऐसे लगभग 4,000 वकीलों, व्यवसायियों और राजनैतिक कार्यकर्ताओं पर एक सर्वे किया जो राजनीतिक विभाग संभालने की पूर्ण योग्यता रखते हैं. जिसके बाद उन्होंने यह स्थापित किया कि महिलाएं काबिल होते हुए भी इसीलिए राजनीति में नहीं जाना चाहतीं क्योंकि उन्हें लगता है कि राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं के प्रति भेदभाव होता है और महिला प्रत्याशियों को ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती. इतना ही नहीं ज्यादातर महिलाएं यह भी सोचती हैं कि वे इतनी योग्य नहीं है कि अकेले किसी विभाग को संभाल पाएं.


महिला और पुरुषों के बीच बढ़ते इस अंतर के पीछे योग्य महिलाओं का खुद को कम आंकना और उनमें प्रतिस्पर्धा की कमी का होना है. इतना ही नहीं अपने पुरुष सहकर्मियों की तुलना में वे जोखिम उठाने में भी बहुत हिचकती हैं.


2006 में अमेरिका में हुए चुनावों को आधार बनाकर यह निर्धारित किया गया है कि ज्यादा महिलाएं इसलिए भी चुनावों में अपनी उम्मीदवारी से बचती हैं क्योंकि वह कुछ अभियानों और प्रचार के लिए खुद को तैयार नहीं समझतीं. महिलाओं का मानना है कि उनसे बेहतर उनके घर और बच्चों का ध्यान और कोई नहीं रख सकता इसीलिए वे अपने परिवार को ही समय देना चाहती हैं.


अगर इस अध्ययन पर गौर किया जाए तो कुछ हद तक यह स्थापनाएं भारतीय महिलाओं के मौलिक स्वभाव को भी साफ प्रदर्शित करती हैं. ऐसा नहीं है कि भारतीय महिलाएं किसी बड़े पद के योग्य नहीं हैं लेकिन फिर भी अधिकांशत: अपने परिवार को ही अपनी जिम्मेदारी समझती हैं. लेकिन ऐसी महिलाओं की भी कोई कमी नहीं हैं जो आज राजनीति के एक बड़े और ऊंचे मुकाम पर हैं. एक ओर अगर वे महिलाएं हैं जो घर संभालना पसंद करती हैं तो ऐसी भी बहुत सी महिलाएं हैं जो कॅरियर और अपनी आकांक्षाओं के आगे किसी चीज को ज्यादा महत्व नहीं देतीं. इसीलिए इस शोध की स्थापनाओं को सही और उपयुक्त मानकर सार्वजनिक रूप से लागू करना न्यायसंगत नहीं कहा जाएगा.


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