Menu
blogid : 313 postid : 659

दिल नहीं दिमाग से होता है प्यार


Hindi Lifestyle Blog

किसी की मुस्कान दिल को छू जाती है
खयालों के दरमियाँ उनकी याद सताती है
यह दिल की बात है दिमाग से समझ नहीं आती

प्यार का वह एहसास, वह दिल खोने की बात, वह इकरार और तकरार ऐसा प्रतीत होता है जैसे आपका पूरा जीवन सुहाना हो गया हो. लेकिन क्या प्यार-इश्क और मोहब्बत में वाकई दिल खोता है? प्यार और दिल के दीवानों का तो यही कहना है. परन्तु सच्चाई कुछ और ही है. यह हमारा कहना नहीं बल्कि सिरैक्यूज़ विश्वविद्यालय की शोधकर्ता स्टेफ़नी ऑरटिगुए का कहना है.

स्टेफ़नी ऑरटिगुए का कहना है कि जब हमें प्यार होता है तो हमारे दिमाग में तीव्र सक्रियण होता है और यह वही क्षेत्र होते हैं जो अवैध दवाओं के सेवन से जाग्रत होते हैं. अतः मनुष्य को किसी से प्यार होने में केवल पांच सेकंड लगते हैं.

सिरैक्यूज़ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने अपने रिजल्ट में कहा है कि जब हमें प्यार होता है तब हमारे दिमाग के 12 क्षेत्र एक साथ कार्य करने लगते हैं जिससे उत्साहवर्धक रसायन जैसे कि डोपामाइन, ऑक्सीटॉसिन, एड्रेनालाइन और वैसोप्रेसिन का उत्प्रेरण होता है जो हमें प्यार का एहसास कराते हैं. इस क्रिया से मानसिक Hindi Lifestyle blogप्रतिनिधित्व रूपक जैसे कि शरीर की छवि के रूप में परिष्कृत संज्ञानात्मक कार्य भी प्रभावित होते हैं.

तो अब आप ही बताएँ कि प्यार किससे होता है दिल से या दिमाग से या फिर दोनों से.

शोधकर्ता तो दिमाग से कहते हैं लेकिन इस दिमागी खेल में दिल का भी बहुत बड़ा हाथ है क्योंकि दिमाग को तो दिल ही नियन्त्रित रखता है. आखिरकार प्यार है भाई इतनी आसानी से थोड़ी होता है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh