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प्यार का जल्द इज़हार करना फ्लर्ट साबित कर सकता है आपको

boy proposing girlअगर आप यह सोचते हैं कि जिस व्यक्ति से आप प्रेम करते हैं उससे जितनी जल्दी हो सके अपने प्यार का इज़हार कर दें ताकि देरी के चलते कहीं वो आपसे दूर न हो जाए, तो हाल ही में हुआ एक शोध (Study) और उसके परिणाम (Results) आपको ऐसा करने से रोकने के लिए काफी हैं.

अमेरिका (America) के मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (Massachusetts Institute Of Technology)  द्वारा कराया गया एक सर्वेक्षण (Research) यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित करता है कि पुरुषों द्वारा अपने प्यार का इज़हार करने में जरा भी जल्दबाजी उनके लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती है.  बल्कि जो पुरुष जल्द ही किसी महिला के समक्ष प्रेम प्रस्ताव (Proposal) रख देते हैं, उन्हें फ्लर्ट (Flirt) ही समझा जाता है और महिलाएं कतई ऐसे पुरुषों में रूचि नहीं लेती जो फ्लर्ट हो.


यह शोध यह भी दर्शाता है कि जहां कुछ समय पहले तक प्रेम संबंध (Love Relation) में किसी भी तरह की पहल केवल पुरुषों द्वारा ही की जाती थी, वहीं अब ऐसा बिल्कुल नहीं हैं. अब महिलाएं भी अगर किसी पुरुष को पसंद करती हैं तो उसके सामने प्रेम-प्रस्ताव रखने में जरा भी संकोच नहीं करतीं, लेकिन नतीजों की मानें तो पुरुष भी ऐसी महिलाओं में कोई दिलचस्पी नहीं लेते और अपने मस्तिष्क में उनकी एक नकारात्मक छवि बना लेते हैं, साथ ही उन्हें यह भी लगता है जो महिलाएं बहुत सोच समझकर अपने पसंदीदा पुरुष के प्रेम प्रस्ताव को अपनाती हैं वह अपने रिश्ते को लेकर गंभीर नहीं होतीं.


लेकिन प्रेम का इजहार करने में जल्दबाजी करना सही है या गलत यह स्पष्ट रूप से इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि व्यक्ति अपने रिश्ते को लेकर कितना और किस हद तक गंभीर है यह बात समय के साथ ही सामने आ सकती है. कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति काफी सोच समझकर और अपनी प्राथमिकताओं (Priorities) को ध्यान में रखकर ही इज़हार करता है लेकिन ऐसी परिस्थितियां (Circumstances) आ जाती हैं जिसकी वजह से उसे संबंध समाप्त करना पड़ता है. इसके उलट देखा जाए तो पहली नज़र का प्यार जैसी चीजें भी समाज में अपना स्थान बनाए हुए हैं, जो काफी हद तक सफल भी रही हैं.


यद्यपि यह शोध एक विदेशी संस्थान द्वारा कराया गया है, लेकिन अगर भारत (India) के संदर्भ में इसे देखा जाए, तो भारत एक परंपरावादी देश है, जो मूल रूप से भावना प्रधान है. महिला हो या पुरुष दोनों से ही शालीनता की अपेक्षा की जाती है, इसके साथ ही यहां संबंधों को अत्याधिक महत्व दिया जाता है. महिलाओं के लिए एक निश्चित सामाजिक दायरा तय किया गया है और अगर कोई महिला इस दायरे को पार करती है तो उसे गलत समझा जाता है. इसलिए यहां ऐसा कम ही देखा जा सकता है कि कोई महिला प्रेम संबंध में खुद पहल करे, लेकिन हमारा समाज जो जल्द से जल्द आधुनिक बनने की होड़ में शामिल हो चुका है, वहां ऐसी परिस्थितियां जल्द ही अपने पांव पसार सकती हैं. हालांकि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि महिलाओं द्वारा शुरुआत करने में कोई बुराई है लेकिन एक आदर्श भारतीय प्रेम कहानी (Love Story) में यह कार्य पुरुष को ही सौंपा गया है.


अमूमन देखा गया है कि ऐसे शोध युवा पीढी (Young Generation) को अत्याधिक रोचक लगते हैं और वह इन्हें ही मानक बना कर चलते हैं, अब इस सर्वेक्षण का हमारे नवयुवकों पर क्या प्रभाव पड़ता है यह देखना  दिलचस्प होगा.


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