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पैसे पर ही निर्भर हैं खुशियां !!

money and familyप्यार और पैसा यह दो शब्द भले ही एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी क्यों ना हों लेकिन अगर वैयक्तिक अपेक्षाओं की बात की जाए तो यह दोनों किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. कुछ लोग पैसे को प्यार से ज्यादा अहमियत देते हैं तो कुछ प्यार और भावनाओं के सामने प्यार की अहमियत को पूरी तरह नकार देते हैं. इसके पीछे उनकी यह मान्यता होती है कि अगर जीवन में प्यार और आपसी संबंध है तो बिना पैसे के भी जीवन को बड़ी सहजता से व्यतीत किया जा सकता है.


लेकिन अगर एक नए अध्ययन की मानें तो पैसे और प्यार की जंग में जीत केवल पैसे की ही होती है. क्योंकि अगर आप चाहते हैं कि आपका पारिवारिक जीवन सुखमय और खुशहाल रहे तो भी आप पैसे के महत्व को नकार नहीं सकते. इस शोध की मानें तो धन की सहायता से आप दुनियां की खुशी को खरीद सकते हैं. वहीं अगर आपके पास धन नहीं है और आपका परिवार आपके पास है फिर भी आप उन्हें संतुष्ट नहीं रख सकते.


विश्वभर के अलग-अलग शिक्षण संस्थानों द्वारा संपन्न इस अध्ययन में यह प्रमाणित किया गया है कि धनराशि के होने का अहसास व्यक्ति को आंतरिक खुशी प्रदान करता है. ब्रिटिश मीडिया के अनुसार अध्ययन में सम्मिलित शोधकर्ताओं ने पूरी दुनिया के 126 देशों के आंकड़ों की पड़ताल की और यह निष्कर्ष निकाला कि प्रेम से ज्यादा महत्व धन का होता है, क्योंकि इसी पर आपकी आगे की खुशियां निर्भर रहती हैं. इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि खुशी का पैमाना व्यक्ति के संचित धन से जुड़ा होता है, भले ही धन कुछ कम क्यों ना हो लेकिन अगर वह अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर आश्वस्त है तो उसके लिए अपने संबंधों का निर्वाह करना बेहद आसान और सुखद हो जाता है.


डेली मेल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार यह नई स्थापना पुराने प्रचलित सभी सिद्धांतों को खारिज करती है जिनके अनुसार पैसे की अधिकता ही खुशहाल रख सकती है, जबकि इस अध्ययन के अनुसार भले ही पैसा कम हो लेकिन अगर व्यक्ति उसे लेकर आश्वस्त है तो उसे कोई परेशानी नहीं हो सकती. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोई भी देश इतना धनी नहीं है कि वह अपने नागरिकों को अत्याधिक धन मुहैया करवा सके, इसीलिए कम लेकिन पर्याप्त धन भी व्यक्ति को खुशहाल रख सकता है और इसी खुशहाली पर उसके भावनात्मक संबंध निर्भर करते हैं.


उपरोक्त अध्ययन पर गौर किया जाए तो जीवन में पैसे की महत्ता और उसकी जरूरत को नकारा नहीं जा सकता. जहां तक जीवन में खुशहाली की बात है तो यह भी सच है कि इस पक्ष में भी पैसा बड़ी भूमिका निभाता है, लेकिन केवल पैसे को ही अहमियत देकर भावनाओं को पूरी तरह नजरअंदाज करना भी सही नहीं कहा जा सकता.


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