“सच्चे प्रेमी सबसे पहले सबसे अच्छे दोस्त होते हैं”
प्यार एक ऐसा शब्द है जिसकी प्राथमिकता को शायद ईश्वर भी नहीं नकार सकते हैं. प्यार! क्या होता है प्यार? कैसे होता है प्यार? और क्यों होता है प्यार? मगर होता है तो सबका चैन उड़ा देता है.
प्यार से ज़्यादा जादुई कोई आश्चर्य नहीं
इसका उपचार किसी के पास नहीं
यह तो एक भूख है
जिसे जितना मिटाओ उतनी बढ़ती है.
कहते हैं कि प्यार कि कोई परिभाषा नहीं होती है. प्यार तो एक अस्थायी पागलपन है जो भूकंप की तरह आता है और जिससे आपकी जिंदगी गूंज उठती है. प्यार की कोई सांस नहीं, प्यार तो एक उत्साह है जो उत्सव की तरह आपको प्रफुल्लित कर देता है. प्यार एक शाश्वत जुनून है जिसके द्वारा आप अपने वादों का एलान अपने साथी से करते हैं.
प्यार जीवन में उत्साह लाता है. प्यार से उत्पन्न संतोष और आनंद जीवन व्यापन की प्रेरणा देता है. लेकिन प्यार होने से पहले आपको यह समझना होगा कि प्यार होता क्या है? आप प्यार से क्या उम्मीद करते हैं और आप अपना साथी कैसे पा सकते हैं.
क्यों करता है कोई प्यार
लेकिन अगर कोई आपसे कहें कि वह आपसे प्यार करता या करती है तो, इस दशा में आप क्या करोगे? पता लगाइए कि आपको क्यों प्यार करता है. क्या वह आपके व्यक्तित्व से प्यार करता है या आपके रूप से प्यार करता है. कहीं वह आपके पैसे से तो प्यार नहीं करता या फिर वह आपकी सामाजिक स्थिति का दीवाना है. जब आपको यह पता चल जाएगा कि वह आपको क्यों प्यार करता है, तभी आप जान सकते हैं कि प्यार और रिश्ते को बनाने और मजबूती देने के लिए क्या महत्वपूर्ण चीज़े होती हैं, क्योंकि समय के साथ आपका पैसा आपकी पावर में बदलाव आता रहता है परन्तु आपका व्यक्तित्व कभी नहीं बदलता.
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