सेक्स की इच्छा हमेशा से मनुष्य जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा रही है. लेकिन यह अक्सर देखा जाता है कि शारीरिक संतुष्टि के लिए हम उन नियमों की उपेक्षा कर देते है जो सेक्स लाइफ में सुरक्षा और सेक्स की अवधि बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं.
लॉस एंजिल्स के बोस्टन चिकित्सा समूह के निदेशक और शीर्ष बोर्ड प्रमाणित यूरोलॉजिस्ट डॉ. बैरी बफ्फ़मैन ने आपके सेक्स जीवन में सुरक्षा और सेक्स की अवधि बढ़ाने के लिए सेक्स मिथकों की एक सूची जारी की है जो पुरुषों को अधिकतर घेरे रहती हैं.
सेक्स मिथकों की सूची
1- पहले मिथक के अनुसार, पुरुषों का यह सोचना है कि अगर वह भीतर ही ईजेकुलेट नहीं होते तो स्त्री गर्भ नहीं धारण कर पाएगी. जब्कि सच्चाई यह है कि संभोग के समय पुरुष यह ज्ञात नहीं कर पाता है कि उसका ईजेकुलेशन कब शुरू हो जायेगा.
2- दूसरा मिथ यह है कि अगर हम यौन क्रिया के दौरान किसी और के बारे में सोचते हैं तो यह गलत होता है. परन्तु सच्चाई यह है कि मनुष्यों में यौन अनुभव दिमाग से शुरू होता है, शरीर से नहीं और हमारा दिमाग कभी भी कहीं भी पूर्णतः स्थिर नहीं होता. अगर आप अपने साथी के साथ विश्वसनीय है तो इसमें कोई दोष नहीं कि आप यौन क्रिया के समय किसी और के बारे में सोचें.
3- तीसरा मिथक यह कहता है कि समय से पूर्व इजेकुलेशन से सिर्फ युवा पुरुष ही प्रभावित होते हैं. जबकि सच्चाई यह है कि समय से पूर्व इजेकुलेशन किसी को भी हो सकता है. वास्तव में 30 प्रतिशत पुरुषों में यह उनके जीवन चक्र में कभी भी हो सकता है.
अक्सर यह देखा गया है कि 30 की उम्र वाले व्यक्ति शीघ्र स्खलन से परेशान रहते हैं जिसका मुख्य कारण थकान, कमजोर हृदय कंडीशनिंग, अवसाद, चिंता या न्यूरोलॉजिकल लक्षण होता है.
4- पुरुषों में व्याप्त चौथा मिथक यह कहता है कि मौखिक सेक्स, यौनि सेक्स से अधिक सुरक्षित होता है. परन्तु हम यह भूल जाते हैं कि मौखिक सेक्स करने से संचारित रोगों का खतरा बढ़ जाता है.
5- पांचवां मिथक यह है कि कुछ खाद्य पदार्थ कामोत्तेजक हो सकते हैं जिससे प्यार करने का मूड बनता है. शायद यह मिथक सत्य भी हो लेकिन अभी तक कोई भी वैज्ञानिक शोध इस मिथक को सत्य नहीं साबित कर पाया है.
6- छठा मिथ यह है कि वियाग्रा या अन्य किसी दवाओं के द्वारा इरेक्टल डिस्फंक्शन सही होता है. जबकि दवाओं के द्वारा हम केवल अस्थायी रूप से समस्या को हल कर सकते हैं. और इन दवाओं का सेवन केवल डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए क्योंकि इन दवाओं के दुष्प्रभाव भी होते हैं.
7- सातवां और अंतिम मिथ यह है कि उम्र के साथ संभोग की इच्छा समाप्त हो जाती है. जबकि सेक्स शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो किसी भी उम्र में किया जा सकता है.
कुछ लोगों का मानना है कि कामेच्छा में कमी उम्र बढ़ने का एक स्वाभाविक हिस्सा है, लेकिन इस धारणा को हम उम्र के साथ नहीं जोड़ सकते क्योंकि यौन इच्छा में कमी के अन्य कारण भी हो सकते हैं. जैसे कि हार्मोन की कमी, अवसाद, चिंता और दवा के साइड इफेक्ट, रिश्ते में परिवर्तन आना या फिर अपने साथी की कोई कमी.
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