अक्सर बड़े बुजुर्गों को कहते सुना गया है कि एक खुशहाल व्यक्ति सबकी नज़रों को भाता है या खुश रहने से बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी छोटी हो जाती हैं.
लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन ने इस बात को गलत साबित कर व्यक्ति के मनोभावों जैसे अहम पहलू और आकर्षण को एक नया आयाम दे दिया है और यह प्रमाणित किया है कि खुश रहना ही सारी समस्याओं का निदान नहीं है. कई बार खुश रहने का मोल भी चुकाना पड़ सकता है.
ब्रिटिश यूनिवर्सिटी द्वारा कराए गए इस अध्ययन से यह बात सामने आयी है, कि महिलाएं हमेशा खुश रहने वाले पुरुष की अपेक्षा उन पुरुषों के प्रति अधिक आकर्षित होती हैं जो मिजाज से थोड़े कठोर और रुक्ष हों या अपनी भावनाओं को जाहिर करने में थोड़ा समय लगाते हों.
वहीं दूसरी ओर पुरुष उन महिलाओं की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं जो खुशमिजाज हो और जो महिलाएं घमंड़ी प्रवृत्ति की होती है उनमें पुरुषों की रुचि थोड़ी कम ही रहती है.
यकीनन शोध के निष्कर्ष रोचक और उत्सुकता बढ़ाने वाले हैं. सदियों से चली आ रही अभी तक की सामान्य मान्यता यही रही है कि खुश और प्रसन्नचित्त रहने वाले सबके प्रिय बन जाते हैं और महिलाओं में खासे लोकप्रिय होते हैं. इस मान्यता के उलट ये शोध रुक्ष और कठोर प्रवृत्ति के लोगों की महिलाओं में लोकप्रियता दर्शाता है.
अब इस अध्ययन का हमारी युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव पड़ता है यह देखना दिलचस्प होगा.
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