महिला हो या पुरुष, वैवाहिक संबंध सभी के जीवन में बेहद अहम स्थान रखते हैं. यह भी माना जाता है कि विवाह से पहले व्यक्ति चाहे कितना ही लापरवाह क्यों ना हो, विवाह के पश्चात वह अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगता है और समय के साथ-साथ परिपक्व हो जाता है. लेकिन एक नए शोध ने इस मानसिकता को तथ्यात्मक आधार प्रदान करते हुए यह प्रमाणित कर दिया है कि विवाह आपको परिपक्व तो बनाता ही है साथ ही व्यक्ति के आपराधिक आचरण को भी कमतर या पूरी तरह समाप्त करने में सहायक सिद्ध होता है.
1997 के नेशनल लांगिट्यूडिनल सर्वे ऑफ यूथके विश्लेषण पर आधारित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विवाह के पश्चात लोगों में आत्मनियंत्रण का स्तर बढ़ जाता है, परिणामस्वरूप वह बिना सोचे-समझे या फिर आक्रोश में आकर कोई भी कदम नहीं उठाते. ऐसा व्यवहार सीधे तौर पर उनके आचरण को सुधारता है.
सिडनी के मोनाश विश्वविद्यालय के अपराध विज्ञानी वाल्टर फॉरेस्ट व फ्लोरिडा स्टेट विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर कार्टर हेय द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन से यह स्थापित किया गया है कि गांजे जैसी नशीली दवाओं का इस्तेमाल करने वाले युवाओं ने विवाह के बाद इसका सेवन करना कम कर दिया, इतना ही नहीं वे इसे छोड़ने के लिए भी प्रयासरत हैं.
क्रिमिनोलॉजी एंड क्रिमिनल जस्टिस जर्नल के अनुसार प्रोफेसर फॉरेस्ट का कहना है कि आपराधिक वारदातों में सक्रिय लोगों में विवाह के पश्चात जो बदलाव आते हैं, उनके लिए आत्मनियंत्रण की बढ़ती जरूरत मुख्य भूमिका निभाती है.
सर्वे में शामिल ज्यादातर अपराधविज्ञानियों का मानना है कि विवाह के पश्चात उनका अपना परिवार बन जाता है, जिससे वह भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं. वह जानते हैं कि उनका कोई भी गलत कदम बच्चों और उनकी पत्नी को उनसे दूर कर सकता है. उन्हें अपने परिवार को खोने का डर हमेशा बना रहता है, इसीलिए वह खुद को सुधारने का प्रयत्न करते हैं.
पाश्चात्य संस्थानों द्वारा किए जाने वाले शोध कुछ ही लोगों को केन्द्र में रखकर किए जाते हैं. इसे बहुमत के साथ जोड़ना उचित नहीं कहा जा सकता.
भारतीय परिदृश्य में इस शोध पर नजर डालें तो हो सकता है कि कुछ अपराधी स्वयं को विवाह के पश्चात बदलने की चाह रखते हों, लेकिन इसके लिए उनका मौलिक स्वभाव बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कई ऐसे व्यक्ति होते हैं जो आपराधिक पृष्ठभूमि या स्वभाव ना होने के कारण भी किसी मजबूरीवश या गलती से अपराध के दलदल में फंस जाते हैं, नशीली दवाओं के आदी बन जाते हैं. विवाह के पश्चात जब उन्हें देखभाल करने वाला अपना परिवार मिल जाता है तो वे खुद को सुधारने की कोशिश करते हैं. नि:संदेह उनके सुधरने की संभावनाएं भी अत्याधिक बढ़ जाती हैं. लेकिन बदलाव और सुधार की बात करते हुए हम उन लोगों को नजरअंदाज नहीं कर सकते जो अपराधिक और उग्र प्रवृत्ति के तो हैं ही साथ ही लालच से भी घिरे हुए हैं, जिनके लिए भावनाएं और प्रेम कोई मायने नहीं रखते. ऐसे लोग विवाह के पश्चात भी नहीं बदलते और ना ही सुधरने की कोशिश करते हैं.
अपने बच्चे में सुधार की आशा रखते हुए माता-पिता वधू पक्ष को उसकी किसी गलत आदत के विषय में अवगत नहीं करवाते, यह सोच कर कि विवाह के पश्चात सब ठीक हो जाएगा. लेकिन होता इसके बिलकुल विपरीत है. जब उसकी पत्नी को उसके आचरण के विषय में ज्ञान होता है तो वैवाहिक संबंध में दरार पड़ जाती है. पहले जो परेशानी अभिभावकों को होती थी, वह अब उस महिला को भी झेलनी पड़ती है. ऐसे हालातों में पूरा परिवार समस्याओं और मजबूरियों से ही घिरा रहता है.
इसीलिए इस मानसिकता को त्याग देना ही बेहतर होगा कि विवाह के पश्चात अपराधी प्रवृत्ति वाला व्यक्ति सुधर सकता है या अपने व्यवहार को नियंत्रित कर सकता है.
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