बाप रे बाप, कितना गुस्सा करती हों, तुम्हारा गुस्सा किसी दिन मेरी जान लेकर रहेगा….
हर बात पर गुस्सा, हर बात पर कहासुनी. तंग आ गया हूं मैं तुम्हारी रोज-रोज की झिकझिक से…
तुम्हारे इस बर्ताव को मैं कैसे झेल रही हूं ये सिर्फ मुझे ही पता है….
तुम मेरी रिस्पेक्ट करना बिल्कुल नहीं जानते, मैं एक पल तुम्हारे साथ नहीं रह सकती.
हरपति-पत्नी के बीच में अकसर छोटी-मोटी बातों को लेकर कहासुनी होती ही है. कभी खाने में नमक तेज हो जाए या मनपसंद का खाना ना बने तो पति गुस्से से आगबबूला हो जाता है वहीं अगर पति की कुछ आदतें पत्नी को रास ना आ रही हो या पति की मां उन दोनों के बीच में अकसर अपनी टांग अड़ाती हो तो ऐसे झगड़े आए-दिन का काम हो जाते हैं.
वैसे हम आपको एक बात और बता दें कि पत्नी भले ही अपने पति के गुस्से को सहन कर ले लेकिन जब हर बात पर पत्नी ही खतरनाक रूप धारण करती रहे तो बात ज्यादा आगे बढ़ने का डर सताता रहता है. इसीलिए यहां हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं जिसके बाद खतरे के निशान पर पहुंच चुके आपके विवाहित संबंध को वापिस पटरी पर लाया जा सके.
ईगो को रखो साइड: किसी भी संबंध में अगर अहम बीच में आ जाए तो वह कभी भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता. विशेषकर विवाहित जीवन जिसे चलाने का जिम्मा पति-पत्नी दोनों के ही हाथ में बराबर तरीके से होता है उसमें तो अहम की जगह बिल्कुल नहीं होनी चाहिए. इसीलिए अगर आप खुद को अपनी पत्नी या अपने पति से ज्यादा बड़ा या महत्वपूर्ण मानकर उनकी अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर रहे हैं तो जल्द से जल्द अपनी इस आदत को सुधार लें.
अपने साथी को समझें: देखिए गुस्सा-प्यार ये इंसान के कुछ मौलिक व्यवहार हैं. कोई सॉफ्ट ज्यादा होता है तो कोई क्रोध ज्यादा करता है. एक अच्छा साथी वही है जो अपने साथी को समझकर उसके साथ व्यवहार करने की कोशिश करे. अगर आपका साथी थोड़ा गुस्सैल है तो आप खुद को थोड़ा नर्म बना लें ताकि मतभेद या लड़ाई-झगड़े की संभावना ना रहे. देखिए किसी ना किसी को तो शुरुआत करनी ही होती है तो क्यों ना आप ही पहल कर लें.
मांफ करना सीखें: गलती इंसान से ही होती है और याद रखिए आपका साथी भी इंसान है. भले ही एक पति या पत्नी होने के नाते आपका उनपर हक है लेकिन अगर उनसे कोई गलती हो जाती है तो उन्हें मांफ करना, उन्हें समझना भी आपकी ही जिम्मेदारी है.
किसी तीसरे को ना आने दें: भले ही वो आपका कोई दोस्त हो, माता-पिता हों या फिर कोई और लेकिन अगर आप अपने विवाहित जीवन के बीच में किसी को भी दख्ल देने का मौका देते हैं तो समझ लीजिए आप खुद ही मुश्किलों को निमंत्रण दे रहे हैं. आप दोनों के बीच जो भी गड़बड़ है उसे आप दोनों मिलकर निपटाने की कोशिश कीजिए और देखिए किस तरह आप स्वयं अपनी परेशानी कितनी जल्दी हल कर लेते हैं.
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