आमतौर पर लोग यह मानते हैं कि व्यक्ति के जीवन में उसका पहला प्रेम संबंध (Love Affair) एक ऐसा प्रसंग (Incident) होता है जिसे वह कभी नहीं भूल सकता. चाहे उस संबंध का अनुभव कड़वा ही क्यों ना हो, उसके सामने जीवन की अन्य सभी महत्वपूर्ण घटनाएं गौण (Secondary) हो जाती हैं. अगर आप भी ऐसी ही किसी अवधारणा के शिकार हैं तो हाल ही में हुआ एक सर्वेक्षण (Research) आपकी इस सोच को काफी हद तक गलत साबित करने में सहायक हो सकता है और साथ ही उम्र के हर पड़ाव में घटी भिन्न-भिन्न घटनाओं का व्यक्ति के जीवन में क्या महत्व होता है, आपको इस विषय में भी अवगत करा सकता है.
इस सर्वेक्षण में आए नतीजों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि भले ही महिलाएं अपने साथी के साथ व्यतीत किए गए रूमानी पलों को जीवन के अनमोल लम्हों में शुमार कर लेती हों, लेकिन उनके व्यक्तित्व (Personality) में भी ममता के भाव की ही प्रधानता रहती है. वे अपने पहले प्रेम-संबंध (Love-Relation) से कहीं अधिक तरजीह पहली संतान की प्राप्ति को देती हैं. वहीं पुरुषों के विषय में यह माना जाता है कि वे अपने विवाह को भी किसी अन्य सामान्य घटना की तरह ही लेते हैं. जबकि यह सर्वेक्षण स्पष्ट रूप से स्थापित करता है कि ज्यादातर पुरुषों की दृष्टि में विवाह ही उनके जीवन का सबसे यादगार लम्हां होता है, जिसकी सुनहरी यादें वे हमेशा सहेज कर रखना चाहते हैं. इन सबके अलावा यह भी प्रमाणित हुआ है कि बुजुर्ग व्यक्ति केवल नाती-पोतों के साथ बिताए गए क्षणों को ही अपने जीवन का सबसे यादगार (Memorable) समय मानते हैं.
यद्यपि यह सर्वेक्षण एक विदेशी संस्थान (Institution) द्वारा कराया गया है लेकिन अगर इसे भारत के संदर्भ में जोड़ कर देखा जाए तो इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि भले ही पाश्चात्य संस्कृति (Western culture) भारत की अपेक्षा काफी खुले विचार वाली क्यों न हो, इस बात का असर व्यक्ति की भावनाओं पर नहीं पड़ता. देश चाहे कोई भी हो, महिलाओं का हृदय बेहद कोमल होता है. ममत्व की भावना उनके स्वभाव में प्रबल रूप से विद्यमान रहती है. वे चाहे कितने ही आधुनिक ख्यालों वाली हों, संतान के प्रति हमेशा भावुक (Emotional) रहती हैं. संतान से जुड़ा हर छोटा बड़ा लम्हां उन्हें उम्र भर याद रहता है. खासतौर पर जब कोई स्त्री पहली बार मॉ बनती है तो वह क्षण उसके संपूर्ण जीवन को पूरी तरह बदल देता है, साथ ही उसके व्यक्तित्व को और अधिक परिपक्व (Mature) बना देता है.
वृद्धावस्था (Old Age) की बात की जाए तो यह संस्कृतियों या फिर देशों का अंतर नहीं जानती और समान रूप से मनुष्य की भावनाओं को जगाती है. यह उम्र का एक ऐसा पड़ाव हैं जो व्यक्ति को अपने परिवार की उपयोगिता समझाने में सहायक होता है. आजकल की भागती-दौड़ती जीवन शैली में जब परिवार के लिए ही समय निकाल पाना मुश्किल हो जाता है, ऐसे समय में अगर घर के बुज़ुर्गों को थोड़ा समय अपने बच्चों व नाती-पोतों के साथ बिताने के लिए मिल जाए तो इससे अधिक उन्हें और कोई चीज़ अहम नहीं लगती.
उपरोक्त लेख से यह साफ हो जाता है कि उम्र के हर पड़ाव में व्यक्ति के जीवन में अच्छी या बुरी कई ऐसी परिस्थितियां घटित होती हैं, जिन्हें वह कभी भुला नहीं पाता. जो लोग यह सोचते हैं कि उनका यादगार पल (Memorable Moment) बीत चुका है, उन्हें इस लेख से थोड़ी प्रेरणा (Inspiration) लेते हुए भविष्य की ओर ध्यान देना चाहिए. क्या पता कल को कुछ ऐसा हो जाए जो पिछले किसी भी कड़वे अनुभव की खटास को कम कर दे.
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