महिलाओं के विषय में यह माना जाता है कि उन्हें गपशप करने का बहुत शौक होता है. छोटी-बड़ी चाहे कोई भी बात हो, वह जब तक अपनी सहेलियों या करीबी लोगों से कह ना दें, उन्हें कुछ ना कुछ कमी महसूस होती है. अगर आप भी ऐसा ही कुछ सोचते हैं, तो महिलाओं से संबंधित आपकी यह मानसिकता बिल्कुल उचित है.
वैसे तो यह तथ्य सर्वमान्य है, जिसे स्वयं महिलाएं भी नकार नहीं सकतीं, लेकिन हाल ही में हुए एक ब्रिटिश सर्वे ने इस तथ्य की दोबारा पुष्टि कर दी है. इतना ही नहीं इस सर्वेक्षण की स्थापनाएं गर्ल्स टॉक में दिलचस्पी रखने वाले कई पुरुषों को यह भी बता सकती हैं कि आखिर महिलाओं की यह निजी बातें होती क्या हैं?
उत्सुकता के साथ ही हैरानी पैदा करने वाला यह शोध स्पष्ट रूप से प्रमाणित करता है कि अपनी रोजमर्रा की बातों के अलावा व्यक्तिगत जीवन से भी जुड़ी लगभग हर बात, महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ शेयर करती हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि एक औसत महिला दिन के करीब पांच घंटे सिर्फ आपसी गपशप को ही समर्पित कर देती है. उनकी बातें सौंदर्य-प्रसाधनों के मूल्य और उसके प्रभावी होने से शुरू होने के साथ उनकी सेक्स लाइफ तक पहुंच जाती है. इतना ही नहीं वह अपने सेहत और वजन के विषय में भी चिंता व्यक्त करती हैं और साथ ही सहेलियों के बीच अपने कपड़ों और नई ज्वेलरी का प्रदर्शन करना भी नहीं भूलतीं. वह कहां से और कितनी महंगी खरीददारी करती हैं, क्या खाती हैं, ऐसी फिजूल की बातें करना भी उन्हें पसंद आता है.
अगर आपको लगता है कि महिलाएं निरंतर नासमझी भरी बातें ही कर सकती हैं, तो आपके लिए यह जानना भी दिलचस्प होगा की वे, “कॉस्मेटिक सर्जरी उपयोगी है या नहीं, उसके प्रभाव क्या हो सकते हैं. वजन को कम कैसे किया जाए और स्वस्थ रहने के लिए कैसा संतुलित आहार लिया जाए” इस पर भी बहुत गहरी सोच रखती हैं. विवाह के पश्चात ससुराल को ही अपना घर समझने वाली विवाहित महिलाएं, अपने ससुराल वालों को अनदेखा करने के तरीके के तौर पर, अपनी सहेलियों और सह-कर्मचारियों के साथ ससुराल पक्ष खासतौर पर अपनी सास की बुराइयां करना भी कभी नहीं भूलतीं.
आम धारणा के अनुसार पुरुषों के लिए माना जाता है कि वह सिर्फ अपने काम से मतलब रखते हैं और ऐसी फिज़ूल की बातों में अपना समय बर्बाद नहीं करते. लेकिन यह शोध इस धारणा को निराधार करार देते हुए यह स्पष्ट करता है कि निजी बातें अपने दोस्तों के साथ बांटने और गपशप करने का शौक पुरुषों को भी होता है. ऐसे में यह संभव है कि महिलाओं को भी यह जानने की जिज्ञासा होगी कि आखिर पुरुषों की यह बातें होती क्या हैं? गर्ल्स टॉक से पर्दा हटाने के बाद अगर हम पुरुषों की बात करें तो इस शोध ने उनकी निजी बातों को भी सार्वजनिक करने की हिम्मत दिखा दी है.
शोध के परिणामों की मानें तो, अगर आप ऑफिस के किसी कोने में या गली के नुक्कड़ पर, पुरुषों को आपस में बात करते हुए देखती हैं तो समझ जाइए कि पुरुष अपना अमूल्य समय गर्ल-फ्रेंड के बारे में बात कर या तो फिर अपने सह-कर्मचारी की बुराई करने में व्यतीत कर रहे हैं. इसके अलावा उन्हें खाने और आधुनिक तकनीकी मशीनों के विषय में बात करना भी बहुत भाता है. कौन सी नई गाड़ियां बाजार में आई हैं, किसका प्रदर्शन कैसा है आदि बातें करना वह ऑफिस में काम करने से ज्यादा जरूरी समझते हैं.
पुरुष स्वयं अपने विषय में ऐसा मानते हैं कि घर-परिवार का सारा बोझ उन्हीं के कंधों पर है, इसीलिए वह अधिक जिम्मेदार और काबिल हैं. लेकिन यह शोध यह स्पष्ट करता है कि हमेशा चुप-चुप दिखने वाले पुरुष असल में महिलाओं की ही तरह गपशप करने का शौक रखते हैं. महिलाओं और पुरुषों में हुई आपसी बातों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि जहां पुरुष निजी संबंधों से जुड़े मसलों पर बात करने में दिलचस्पी नहीं लेते वहीं महिलाएं रिश्तों में चल रहे मनमुटावों और समस्याओं को शेयर करना उचित समझती हैं.
मनुष्य व्यवहार के जानकार मनुष्यों के व्यवहार से जुड़ी ऐसी अजीबों-गरीब बातों को सबके सामने रख उनके महत्व और उनके प्रति जन मानस की उत्सुकता को कम करते आए हैं. यह शोध भी उसी सूची में एक और नाम है.
यद्यपि यह शोध एक ब्रिटिश यूनिवर्सिटी द्वारा कराया गया है लेकिन इसके नतीजे भारतीय परिदृश्य में भी एकदम सटीक बैठते हैं. क्योंकि व्यक्ति चाहे किसी भी राष्ट्र का हो, कुछ ना कुछ समानता होती ही है. विशेषकर इस सर्वेक्षण की विषय-वस्तु तो यह साफ बयां करती है कि महिला हो या पुरुष, उनकी बातें अमूमन समान ही होती हैं. उपरोक्त से यह स्पष्ट हो जाता है कि अभी तक महिलाओं को ही सबसे ज्यादा बातें करने वाली समझने की मानसिकता सही नहीं है. पुरुष भी नासमझी भरी बाते करने में अपना समय बिताते हैं. हालांकि दोनों के रुचि-क्षेत्र जरूर अलग हो सकते हैं, लेकिन निरर्थक बातें नहीं.
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