Menu
blogid : 313 postid : 1456

आसान नहीं है किसी पुरुष को समझना !!

man are hard to understandआमतौर पर महिलाओं के विषय में यह माना जाता है कि भले ही वह प्रकृति की सबसे भावुक कृति हैं लेकिन फिर भी उन्हें समझ पाना बहुत कठिन है. वह किस बात से खुश होती हैं और किस पर भड़क सकती हैं यह आज तक कोई नहीं समझ पाया. इसके विपरीत पुरुषों के संबंध में तो हम यह मान ही चुके हैं कि वह एक लापरवाह और फ्लर्ट से अधिक और कुछ नहीं हैं परिणामस्वरूप उन्हें समझना कोई मुश्किल काम नहीं है.


लेकिन क्या पुरुषों के विषय में व्याप्त हमारी इस मानसिकता का कोई आधार भी है या यह मात्र एक भ्रांति की ही तरह हमारे मस्तिष्क में अपना स्थान बना चुकी है?


हाल ही में पुरुषों के संदर्भ में इस दुविधा के समाधान हेतु एक सर्वे कराया गया, जिसके नतीजे निश्चित तौर पर उन लोगों को आश्चर्यचकित कर सकते हैं, जो यह सोचते हैं कि पुरुष भावनाओं का महत्व नहीं समझ सकते और वह तो सिर्फ फ्लर्ट करना ही जानते हैं. इस शोध की स्थापनाओं को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता है:


  • आमतौर पर हमारे समाज में अभी तक सिर्फ महिलाओं को ही भावनात्मक और संबधों के प्रति गंभीर माना जाता था. लेकिन यह शोध यह साबित कर चुका है कि पुरुष महिलाओं से ज्यादा अपनी भावनाओं के प्रति गंभीर होते हैं, लेकिन कभी-कभार वह स्वयं ही अपने मनोभावों को नहीं समझ पाते. इसीलिए जाने-अनजाने में ही सही वह समाज के सामने एक लापरवाह व्यक्ति की छवि बना लेते हैं. अगर वह किसी महिला के प्रति गंभीर होते हैं, तो अंत तक संबंध को बनाए रखने की कोशिश करते हैं.

  • वैसे तो अकेलापन किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य और मस्तिष्क पर बहुत गहरा आघात कर उसे अपना शिकार बना सकता है. लेकिन यह सर्वेक्षण प्रमाणित करता है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुष अकेलेपन को लेकर अधिक संवेदनशील होते हैं. उन्हें अपने दोस्तों के साथ रहना बहुत पसंद होता है जिसकी वजह से वह अकेलापन बर्दाश्त नहीं कर सकते.

  • हालांकि यह बात सच है कि महिलाएं किसी भी समस्या में आपको सहानुभूति देने में कोई कसर नहीं छोड़तीं और समाधान हेतु उचित राय भी दे सकती हैं. लेकिन अगर पुरुषों की बात करें तो वह महिलाओं से अधिक व्यावहारिक होते हैं इसीलिए वह आपकी समस्या के निपटारे के लिए आपको अच्छा उपाय बता सकते हैं. इतना ही नहीं वह महिलाओं से बेहतर आपको नैतिक समर्थन और सहानुभूति भी दे सकते हैं.

  • महिलाओं की प्रवृत्ति अतिसंवेदशील होती है. वह अपने संबंध को स्थिर बनाए रखने के लिए किसी भी तीसरे के हस्तक्षेप को सहन नहीं कर सकतीं, जिसके लिए वह अपने साथी की हर छोटी-बड़ी बात से अवगत रहना चाहती हैं. इसके विपरीत भले ही पुरुष अपने साथी के जीवन में हस्तक्षेप नहीं करते लेकिन अगर उनके निजी-जीवन या प्रेम संबंधों के सामने कोई चुनौती या समस्या खड़ी हो जाती है तो वह संबंध को बचाने के लिए बहुत आक्रामक हो जाते हैं.

  • इस सर्वेक्षण द्वारा यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि पुरुषों में नेतृत्व करने और आदेश देने की क्षमता प्रबल रूप से विद्यमान होती है. वह केवल फ्लर्ट ही नहीं करते बल्कि चुनौतीपूर्ण कार्य भी बहुत कुशलता से पूरा करते हैं.
  • यद्यपि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा जल्दी परिपक्व हो जाती हैं. लेकिन युवावस्था पार कर चुके पुरुष महिलाओं की अपेक्षा अधिक कर्तव्यबद्ध हो जाते हैं.

  • हमारे समाज में यह माना जाता है कि बच्चे के विकास में सबसे अहम भूमिका मां निभाती है. लेकिन इस शोध ने यह प्रमाणित कर दिया है कि बच्चों के चारित्रिक निर्माण में सबसे बड़ा योगदान पिता का ही होता है. साथ ही पिता और बच्चों का साथ खेलना, घूमने जाना बच्चों के विकास पर सकारात्मक प्रभाव डालता है.

  • केवल महिलाएं ही नहीं पुरुष भी अपने प्रेम-प्रसंगों को विवाह के पड़ाव तक पहुंचाने के लिए संजीदा होते हैं. लेकिन यह सिर्फ तभी संभव होता है जब पुरुष अपनी भावनाओं को लेकर सचेत हों और साथी के साथ उनका तालमेल अच्छा हो.

इस सर्वेक्षण के नतीजों के द्वारा जो गैर-परंपरागत छवि सामने आती है वो निश्चित तौर पर हैरान करने वाली है. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि 30 की उम्र के बाद पुरुष अपने संबंधों के प्रति अपेक्षाकृत अधिक समर्पित और संजीदा हो जाते हैं. यह शोध निःसंदेह महिलाओं और पुरुषों के पारस्परिक संबंधों को मधुर और स्थिर बनाए रखने में सहायक हो सकता है.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh