जब भी प्रेम संबंध या विवाह जैसे भावनात्मक संबंधों का जिक्र होता है तो हम पुरुषों को हमेशा एक लापरवाह और झूठे साथी की श्रेणी में ही रखते हैं. हम ऐसा मानकर चलते हैं कि पुरुष कभी भी अपनी प्रेमिका या पत्नी के प्रति समर्पित या उसके लिए अपनी प्रतिबद्धताओं पर स्थिर नहीं रह सकते.
लेकिन हाल ही में हुए एक शोध ने यह प्रमाणित किया है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुष कहीं ज्यादा संवेदनशील और भावनात्मक होते हैं. वह अपनी प्रेमिका की भावनाओं को समझते हैं इसीलिए कुछ भी ऐसा करने से बचते हैं जिससे उनकी प्रेमिका को कष्ट पहुंचे. अगर इसके लिए उन्हें झूठ भी बोलना पड़े तो भी वह पीछे नहीं हटते.
महिलाओं को मोटा और भद्दा दिखना बिलकुल नहीं भाता. वह हर समय यहीं कोशिश करती हैं कि वह अन्य महिलाओं की अपेक्षा बेहद आकर्षक और सुंदर लगें. ऐसे में वह किसी महिला की राय लेना तो पसंद करेंगी नहीं इसीलिए जाहिर है वह अपने पति या प्रेमी को ही एकमात्र निर्णायक समझ उनसे अपने कपड़ों या मेकअप के बारे में पूछेंगी.
डेली एक्स्प्रेस में प्रकाशित इस रिपोर्ट की मानें तो जब महिलाएं अपने साथी से यह पूछती हैं कि वह कहीं मोटी या भद्दी तो नहीं लग रही हैं तो भले ही उनकी प्रेमिका कैसी भी लग रही हो लेकिन मात्र इस डर से कि कहीं उसे बुरा ना लग जाए वह झूठ बोल जाते हैं. एक मुख्य बात जो सामने आई है वो यह कि महिलाएं अपनी सहेलियों के सामने कभी भी यह मुद्दा नहीं उठातीं कि वे कैसी लग रही हैं या उनके कपड़े कैसे हैं.
लगभग एक-तिहाई पुरुष अपने साथी के दुखी होने या भड़कने के डर से झूठ बोलते हैं कि वह अच्छी और बेहद आकर्षक लग रही हैं. वहीं इस अध्ययन ने महिलाओं को भावनात्मक से ज्यादा व्यवहारिक प्रमाणित कर दिया है. क्योंकि जब महिलाओं से यह प्रश्न पूछा जाता है तो वे सच बोल देती हैं. अगर उनका पति या प्रेमी मोटा लग रहा होता है तो वह उन्हें तुरंत डायटिंग या जिम जाने की सलाह दे देती हैं और अगर उसकी च्वाइस उन्हें पसंद नहीं आती तो वे उस गिफ्ट को भी नकार देती हैं जो उनका साथी बहुत प्रेम और अपनेपन के साथ उन्हें देता है.
इस अध्ययन के अनुसार एक महत्वपूर्ण बात सामने आई है कि जिन पुरुषों को हम बेपरवाह और कठोर समझते हैं वे अपनी साथी की भावनाओं का बहुत ध्यान रखते हैं. वैसे तो पुरुषों का झूठ बोलना कोई नई बात नहीं है लेकिन अगर उनका झूठ उनके जीवनसाथी को खुशी देता है तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है.
लेकिन एक मुख्य बात यह है कि सभी मनुष्य का स्वभाव और उनकी प्रकृति समान नहीं हो सकती. इसीलिए झूठ बोलने के उद्देश्य के समान होने की संभावनाएं भी कम ही हैं. इसीलिए प्रेम संबंधों का निर्वाह आपसी समझ और पूरी परिपक्वता के साथ ही किया जाना चाहिए.
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