वैसे तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुरुष स्वयं को अपनी महिला साथी से हमेशा बेहतर ही आंकते हैं. उन्हें लगता है कि महिलाएं कोई भी काम बिना उनकी सहायता के पूरा नहीं कर सकतीं. यही कारण है कि पुरुष अकसर महिलाओं को डम कहकर संबोधित करते हैं. जिसका अर्थ होता है कि नासमझ. आप चाहे तो इसे बेवकूफ भी समझ सकते हैं. महिलाओं के विरुद्ध पुरुषों की ऐसी मानसिकता यहीं समाप्त नहीं होती. वह तो यह भी मानते हैं कि महिलाओं का सेंस ऑफ ह्यूमर बिल्कुल जीरो होता है. वह ना तो मजाक समझ सकती हैं और ना ही उन्हें मजाक करना आता है.
स्वाभाविक तौर पर महिलाएं, पुरुषों की ऐसी धारणा को निराधार ही बताएंगी. भला कोई कैसे अपने आपको बेवकूफ मान सकता है. लेकिन एक नए शोध ने यह प्रमाणित किया है कि पुरुषों द्वारा महिलाओं को डम समझा जाना फिजूल नहीं है.
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में महिलाओं और पुरुषों को 20 कार्टूनों के लिए शीर्षक लिखने को कहा गया, जिसमें यह प्रमाणित हुआ कि पुरुष महिलाओं से कहीं ज्यादा मजाकिया सोच रखते हैं. यहां तक कि वयस्क मजाक जिसे आम भाषा में एडल्ट जोक या नॉन वेज जोक कहते हैं, पुरुष उन्हें समझने में भी महिलाओं से कहीं आगे रहते हैं.
उल्लेखनीय है कि पुरुष इस बात को जानते हैं कि उनके द्वारा किए गए नॉन-वेज मजाक महिलाओं को समझ नहीं आएंगे इसीलिए वह उनके सामने भी ऐसे मजाकों का अकसर प्रयोग करते रहते हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि महिलाओं और पुरुषों के बीच अंकों का अंतर काफी कम था इसीलिए किसी स्पष्ट नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता, लेकिन कुछ हद तक इस बात को सही माना जा सकता है कि पुरुष महिलाओं से ज्यादा मजाकिया होते हैं.
अकसर देखा जाता है कि महिलाओं को प्रभावित करने के लिए पुरुष अपने मजाकिया लहजे का प्रयोग ज्यादा करते हैं लेकिन इस स्टडी की सहलेखिका प्रोफेसर निकोलस क्रिस्टीनफेल्ड का कहना है कि शोध के नतीजों के बाद पुरुषों को जहां आत्म संतुष्टि मिलेगी वहीं उन्हें थोड़ी निराशा भी हाथ लग सकती है. क्योंकि पुरुषों द्वारा किए गए मजाक महिलाओं को नहीं केवल पुरुषों को ही समझ आते हैं, इसीलिए उनसे महिला नहीं बल्कि पुरुष ही प्रभावित हो सकते हैं.
भारतीय परिदृश्य में भी पुरुषों के समूह को मजाक करते हुए देखा जा सकता है. बहुत हद तक संभव है उनके मजाक महिलाओं को समझ ना आएं. लेकिन फिर भी वह आपस में एक अच्छा समय बिताने और हंसी-मजाक करने के लिए मजाक करते ही रहते हैं. वहीं अगर महिलाओं के समूह की बात करें तो आप इस बात को नकार नहीं सकते कि महिलाएं हमेशा अन्य महिलाओं के विषय में बात करना या फिर अपनी तारीफ करना ही बेहतर समझती हैं. बहुत कम ही होता है जब वे एक-दूसरे के साथ मजाक करें. खरीददारी, कपड़े और ससुराल वालों के विषय में बात करने के अलावा शायद ही उनके लिए कोई अन्य चीज महत्व रखती हो.
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