भले ही प्रकृति ने शारीरिक रूप से महिलाओं को पुरुष की अपेक्षा कमजोर बनाया हो, लेकिन एक नए शोध ने इस बात को स्थापित कर दिया है कि शारीरिक रूप से कमजोर कही जाने वाली महिलाएं मजबूत कद-काठी वाले पुरुष से कई गुणा ज्यादा सेहतमंद होती हैं. उनमें किसी भी प्रकार के संक्रमण की आशंका भी बहुत कम होती है.
लंडन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए इस शोध ने अपनी स्थापनाओं से साबित किया है कि पुरुषों के मुकाबले उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ज्यादा होती है इसीलिए बीमारियों और संक्रमण से लड़ने में महिलाएं पुरुषों को भी पीछे छोड़ सकती हैं.
विश्वविद्यालय की डॉ. रमोना के नेतृत्व में चलने वाले अनुसंधान दल ने चूहे और चुहिया पर विभिन्न तरह के संक्रमण से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता का विश्लेषण करने के बाद इस तथ्य पर अपनी मुहर लगाई है.
डेली एक्सप्रेस में प्रकाशित हुई इस रिपोर्ट के अनुसार नर चूहे में मादा चूहे की अपेक्षा सफेद रक्त कोशिकाएं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्धारण करती हैं, काफी हद तक कम होती हैं. जिसके परिणामस्वरूप नर शरीर बहुत जल्दी संक्रमण का शिकार हो जाता है. इसके विपरीत मादाओं में इन रक्त कोशिकाएं की अधिकता उन्हें बीमार नहीं पड़ने देती.
अपनी स्थापनाओं में वैज्ञानिकों ने कहा है कि इन सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या महिलाओं में तो ज्यादा होती ही है और यही हवा और गंदगी के कारण शरीर में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में भी काफी मददगार सिद्ध होती हैं. इतना ही नहीं यह सफेद रक्त कोशिकाएं अधिक रसायन भी नहीं प्रवाहित करती जो प्रतिरोधक प्रणाली को कम करता है. अगर ऐसा है तो अब महिलाओं को सर्दी, जुकाम जैसी बीमारियां जो मुख्यत: संक्रमण के कारण फैलती हैं, उनसे कोई खास खतरा नहीं है. लेकिन पुरुषों को थोड़ा संभल कर रहना चाहिए.
माना जाता है कि व्यक्ति की जिज्ञासा का कोई अंत नहीं है. इसी कहावत को सच करते विदेशी संस्थान एक बार फिर नई खोज के साथ सामने आए हैं. अब चूहे और चुहिया पर कराए गई इस शोध की हकीकत क्या है, अभी इस बात पर कोई राय रखना जल्दबाजी होगी. हालांकि इस शोध की प्रधान शोधकर्ता डॉ. रमोना का मानना है कि नर और मादा चूहे पर कराए गए इस शोध के नतीजे मनुष्यों पर भी बिलकुल सटीक प्रमाणित हो सकते हैं. लेकिन फिर भी पुख्ता तरीके से कुछ भी कहा जाना अभी संभव नहीं है. हो सकता है कि इसके लिए हमें आगे ऐसे ही कुछ अजीबोगरीब सर्वेक्षणों से दो-चार होना पड़े. वैसे इस शोध के बाद पाश्चात्य वैज्ञानिकों ने इस बात को तो आधार प्रदान कर दिया है कि मनुष्यों और जानवरों में कुछ ज्यादा अंतर नहीं होता.
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