हम जन्नत का आनंद उठाना चाहते हैं लेकिन मरने से डरते हैं…..अजीब विडंबना है कि मृत्यु की सच्चाई से जब हम सभी वाकिफ हैं तो मौत से डर-डर कर क्यों रहते हैं! जिन्दा रहते हुए भी हम मौत की कल्पना करते हैं और अपने अंत के विचार से ही डर जाते हैं और हमारे इस डर को बहुत से लोग अपनी कमाई का जरिया बना लेते हैं. लेकिन अगर आपको कहा जाए कि इस दुनिया में एक स्थान ऐसा भी है जहां जाने वाला कभी नहीं मरता तो क्या आप उस स्थान पर जाना चाहेंगे?
हां, वास्तव में एक ऐसी दुनिया है जहां इंसान की जब तक इच्छा हो वो अपनी जिंदगी को जी लेता है और हद से ज्यादा उम्र पार करने के बाद हमेशा के लिए गहरी नींद में सो जाता है. दक्षिण प्रशांत महासागर के बीच में एक टापू है जहां लोग 80 से 90 तक की उम्र को यूं ही पार कर जाते हैं और उन्हें देखने पर इस बात का कयास लगाना भी मुश्किल हो जाता है कि उनकी उम्र क्या होगी क्योंकि 80-90 साल तक के लोग 40 की उम्र के आसपास नजर आते हैं. कम उम्र का दिखने का कारण टापू का सुन्दर वातावरण और लोगों पर मानसिक दबाव का कम होना है.
इस टापू का नाम है पिटकेयर्न आइलैंड जो साल 1838 में आधिकारिक तौर पर ब्रिटिश राज्यक्षेत्र बन गया. ब्रिटेन से निष्कासित किए गए कुछ समुद्री लुटेरों ने इस टापू की खोज की थी और बाद में जाकर इस टापू पर ही अपना आशियाना बसा लिया. इस टापू की खास बात यह है कि आज के समय में इस टापू पर केवल 48 लोग ही रहते हैं और जल्द ही दो किशोर अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए इस आइलैंड को छोड़कर न्यूजीलैंड जाने वाले हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि आज से 5 साल बाद इस टापू पर रहने वाले 80% लोग 65 की उम्र पार कर जाएंगे.
इस टापू के लोगों के बीच आपसी विश्वास कुछ इस तरह है कि यह लोग अपने घरों के दरवाजों को बंद करके रखना जरूरी नहीं समझते हैं और कभी कोई विशेष आयोजन होने पर सभी लोगों को एक साथ देखा जा सकता है. इस टापू पर रहने वाले लोगों की आय का स्त्रोत सिर्फ और सिर्फ पर्यटन है, लेकिन इस स्थान पर पर्यटक भी बहुत कम आते हैं इसलिए इतने सुंदर आइलैंड पर रहने वाले लोगों को वर्ष 2004 में दिवालिया घोषित कर दिया गया था. यहां रहने वाले लोगों की प्रति व्यक्ति आय 5,000 डॉलर से भी कम है लेकिन इसके बावजूद भी यह लोग अपनी जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीते हैं.
चलिए आपको इस आइलैंड से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं:
1. इस टापू पर सबसे पहले पॉलिनेशियन लोग रहने आए थे. मुख्यत: यहां4 परिवारों के ही लोग रहते हैं जिनकी पृष्ठभूमि डाकुओं की रही है.
2. वैसे तो इस टापू पर रहना आसान नहीं है लेकिन अगर फिर भी आप इस टापू की खूबसूरती से प्रभावित होकर यहां रहना चाहते हैं तो आपको पहले आइलैंड काउंसिल और गवर्नर को एक एप्लिकेशन देनी होगी.
3. इस आइलैंड का आधे से ज्यादा भाग ज्वालामुखी के पत्थर से ढका हुआ है और यह ज्वालामुखी कभी भी आग उबल सकता है.
4. पिटकेयर्न आइलैंड 4 आइलैंड से मिलकर बना है और यह चारों टापू सक्रीय ज्वालामुखी पर बसे हुए हैं.
एक व्यक्ति अपनी तमाम जिंदगी केवल उस सुकून भरे पल की कामना करता रहता है जहां उसके चारों तरफ सुन्दर वातावरण हो, लोगों का शोर ना हो और वो अपनी हर सांस को महसूस कर सके पर पिटकेयर्न आइलैंड के लोगों के लिए यह कल्पना नहीं बल्कि हर रोज की हकीकत है.
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