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झूठी होती हैं महिलाएं !!

womenआमतौर पर महिलाओं को प्रकृति की एक रहस्यमयी कृति समझा जाता है, जो चीजें गुप्त रखने में माहिर होने के साथ-साथ कई सारे भेद और रहस्य खुद में समेटे हुए होती हैं. महिलाओं को भले ही पुरुषों की अपेक्षा एक सहनशील व्यक्तित्व की उपाधि दी गई हो लेकिन यह बात सर्वमान्य है कि “वह कब किस बात पर क्रोधित हो जाएंगी, और किस हद तक अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगी यह आज तक कोई नहीं समझ पाया है.”


महिलाएं के बारे में यह माना जाता है कि उन्हें अपनी तारीफें सुनने का बहुत शौक होता है और वह अपने बॉयफ्रेंड से जुड़ी बातें जरूर अपनी सहेलियों के साथ बांटती हैं. लेकिन एक लाइफस्टाईल मैगजीन द्वारा कराया गया एक शोध यह साफ तौर पर प्रमाणित करता है कि अपने निजी जीवन से जुड़ी काफी सारी बातें ऐसी हैं जिन्हें छुपाने के लिए वह झूठ बोलने में भी गुरेज नहीं करतीं. इतना ही नहीं, वह झूठ भी इतने सहज भाव से बोलती हैं कि उन पर किसी को शक नहीं होता.


महिलाएं भले ही इस शोध के नतीजों को निराधार मान उन्हें खारिज कर रही हों लेकिन यह बात किसी से छुपी नहीं है कि वह अपने निजी जीवन के प्रति बहुत हद तक संजीदा होती हैं. उनमें ईर्ष्या और जलन जैसी भावना भी प्रबल रूप से विद्यमान होती है.


इस शोध की स्थापनाओं पर नजर डालें तो अधिकांश महिलाएं अपनी सैलेरी के विषय में बात करना पसंद नहीं करतीं और अगर कोई गलती से उनसे इस विषय में बात कर भी ले तो वह इसका सही उत्तर नहीं देती. इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि वे सोचती हों कि कोई उनसे पैसे उधार ना मांग ले. इसके अलावा अगर उनका बॉयफ्रेंड उन्हें सस्ते तोहफे देता है तो वह अकसर अपनी सहेलियों से उसके वास्तविक मूल्य को छुपाते हुए झूठ बोलती हैं. जैसा कि देखा गया है कि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा अपने साथी के साथ भावनात्मक रूप से अधिक लगाव रखती हैं. इसीलिए जब उनका ब्रेक-अप होता है तो वह अपनी सहेलियों के साथ अपने साथी से जुड़ी कोई भी बुरी बात शेयर नहीं करती. शायद इस उम्मीद से कि शायद उनका बॉयफ्रेंड उनके जीवन में वापस आ जाएगा. महिलाएं अपनी सुंदरता को लेकर अत्याधिक सचेत रहती हैं. उनका ध्यान सिर्फ इस बात पर होता है कि उनके बाल ठीक से बने हैं या नहीं, उनके कपड़े कैसे लग रहे हैं, इत्यादि. ताकि वह अपनी सहेलियों और अन्य लोगों में अपनी आकर्षक छवि का निर्माण कर सकें. लेकिन अगर किसी कारणवश उनसे सजने-संवरने में कोई भूल हो जाए तो वह उस पर भी यह कहकर झूठ का पर्दा डाल देती हैं कि उन पर यह स्टाइल बहुत फबती है.


एक विदेशी पत्रिका द्वारा कराया गया यह शोध भले ही पाश्चात्य देशों की महिलाओं को केन्द्र में रखकर किया गया हो लेकिन महिलाएं चाहे किसी भी राष्ट्र की हों, होती तो सिर्फ महिलाएं ही हैं. इसीलिए ऐसा कदापि नहीं कहा जा सकता कि भारतीय महिलाओं की प्रवृत्ति इनसे ज्यादा भिन्न होगी. यकीनन इस शोध के नतीजे रोचक और महिलाओं के प्रति उत्सुकता बढ़ाने वाले हैं. क्योंकि अभी तक सिर्फ यही माना जाता था कि महिलाएं अपेक्षाकृत अधिक परिपक्व और समझदार होती हैं. लेकिन ऐसी छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलना उनकी कथित समझदारी पर प्रश्न चिन्ह लगाता है.


दोस्ती का अर्थ होता है अपना सब-कुछ एक दूसरे के साथ बांटना, लेकिन महिलाएं जब व्यक्तिगत जीवन और उससे जुड़ी घटनाओं को ही मित्रों से दूर रखेंगी तो ऐसे में दोस्ती और उससे जुड़ी भावनाओं का दायरा भी काफी हद तक सीमित हो जाएगा. संभवत: ऐसे शोध सबसे अधिक युवा पीढ़ी को ही प्रभावित करते हैं. इसलिए, इसके परिणामों का उन पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा.


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