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अगर आप पिता हैं तो यह खबर जरूर पढ़ें, कम से कम तीन साल अपने बच्चे से दूर रहें ताकि……

महंगे से महंगा पालना बच्चे को वह नहीं दे सकता जो मां का एक स्पर्श या मां के पास होने का एहसास दे सकता है. मां के इस एहसास को समझने के लिए बच्चे को उम्र नहीं गुजारनी होती, जन्म लेते ही वह इस एहसास को जीने लगता है. मां के दिल में भी अपने बच्चे के लिए ममत्व पैदा करने और उसकी सुरक्षा करने के लिए किसी ट्रेनिंग की जरूरत नहीं, बच्चे के जन्म के साथ वह अपने बच्चे के लिए दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह और सबसे ज्यादा प्यार करने वाला इंसान बन जाती है. शायद कुदरत ने मां-बच्चे का रिश्ता बनाया ही कुछ ऐसा है जिसमें जरा सी दूरी मां और बच्चे दोनों के लिए अवसाद का कारण बन सकती है.


baby cot




ब्रेन के विकास के लिए नवजात शिशु का मां के साथ होना बहुत जरूरी है. ठीक प्रकार से मानसिक विकास के लिए 3 साल तक बच्चे का मां के साथ सोना बहुत जरूरी है. हाल ही में शिशु रोग विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक सर्वे में यह रिजल्ट सामने आया है. इसमें पाया गया कि मां के साथ सोने वाले बच्चे जहां आराम की नींद सो रहे थे और उनकी सांसों की गति भी सामान्य थी वहीं मां से अलग सो रहे बच्चों की सांसों की गति सामान्य से तेज थी. मां से अलग सोने वाले बच्चों की तुलना में साथ सोने वाले बच्चे बीमार भी कम पड़ते पाए गए.


baby in joy mood


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रिसर्चर के अनुसार 3 साल तक के बच्चों का मां से अलग सोना मां और बच्चे को एक दूसरे से जुड़ने में बाधा पैदा करता है और बच्चे का मानसिक विकास भी ठीक प्रकार नहीं हो पाता. बच्चा चिड़चिड़ा और मंदबुद्धि भी हो सकता है.


baby



साउथ अफ्रीका में यूनिवर्सिटी ऑफ केपटाउन के डॉ. नील्स बर्गमैन के अनुसार आजकल जन्म के तुरंत बाद बच्चों को पालने में सुलाने का रिवाज है लेकिन जन्म के कम से कम कुछ हफ्तों तक बच्चों को मां के सीने से लगकर सोना उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है साथ ही उनका बौद्धिक विकास भी बेहतर होता है.


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a safe place for baby


16 बच्चों पर किए गए सर्वे में पालने में सोने वाले बच्चों में मां के सीने से लगकर सोए बच्चों की तुलना में उनकी सांस तीन गुना अधिक तेज बढ़ी हुई पाई गई. मेडिकल साइंस में दो तरह की सोने की अवस्था होती है एक ‘क्वायट’ और दूसरा ‘एक्टिव’. एक्टिव मूड की नींद में सोने वाले स्ट्रेस में सोते हैं. क्वायट मूड की नींद दिमागी विकास के लिए बहुत जरूरी है. पालने में सोने वाले 16 बच्चों में मात्र 6 ही क्वायट मूड में सोए और उसमें भी वे पूरी तरह स्ट्रेस-फ्री नहीं थे, उनकी धड़कन फिर भी सामान्य से तेज थी.


new born baby

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सामान्यतया नवजात शिशुओं की मांओं को बच्चे को अपने साथ न सुलाकर पालने में सुलाने की सलाह दी जाती है ताकि सोते हुए उनके बेपरवाह करवट बदलने से कहीं दबकर बच्चों की मौत न हो जाए. ब्रिटेन के एक हालिया सर्वे में बताया गया है कि मां के साथ सोने वाले नवजात शिशु की नींद में लापरवाह होकर मां के करवट बदलने या हाथ-पैर रख देने से मौत हो जाती है. खासकर जिन शिशुओं की मौत के कोई कारण नहीं थे उसके लिए यही कारण माना गया और इसलिए मां को बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्हें पालने में सुलाने की सलाह दी जाती है.

mother child relationship



लेकिन डॉ. बर्गमैन के अनुसार ये बच्चे मां से दबकर नहीं मरे बल्कि बंद कमरे में बन रहे टॉक्सिक धुएं, मां-बाप की रूम में ही सिगरेट-शराब पीने की आदतों, बड़े तकिए के कारण गर्दन और सिर पर घातक दवाब और बिस्तर पर रखे गए खतरनाक खिलौनों के कारण मारे गए.


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