महिलाओं के विषय में यह माना जाता है कि वह पुरुषों से कहीं ज्यादा भावुक और संवेदनशील होती हैं. लेकिन जब उन्हें अपने पति से कोई बात मनवानी हो तो वह हर हाल में अपनी जिद पूरी करवाने की कोशिश करती हैं. जब तक उनका पति उनके कहे अनुसार काम ना करे उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती. ऐसे समय में पुरुष को ही परिपक्वता से काम लेना पड़ता है. झगड़े को आगे बढ़ाने की बजाय वह अपनी पत्नी का कहना मान लेता है.
प्राय: देखा जाता है कि वैवाहिक जीवन या फिर घरेलू मसलों से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात पर महिलाएं अपनी ही चलाती हैं. ऐसे हालात लगभग सभी के वैवाहिक जीवन में होते हैं, जब पत्नी की जिद पूरी करने के लिए पति को कभी खुशी से तो कभी मजबूरी में अपने हथियार डालने ही पड़ते हैं.
एक नए अध्ययन के अनुसार अच्छी नींद लेने के लिए महिलाएं बिस्तर पर भी अपनी पसंद की जगह ही चुनती हैं. इसके लिए अगर उन्हें अपने पति से झगड़ा भी करना पड़े तो भी वह पीछे नहीं हटतीं.
लंदन की एक बिस्तर निर्माता कंपनी रेस्ट एश्योर्ड द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में यह प्रमाणित हुआ है कि दस में से केवल एक पुरुष ही अपनी पसंदीदा जगह पर सोने के लिए जिद करता है जबकि चार वैवाहिक जोड़े तो सोने की व्यवस्था को लेकर असहमत ही रहते हैं.
स्टडी के अनुसार महिलाएं सोने के लिए ऐसी जगह चुनना पसंद करती हैं जहां उनकी नींद में पति के खर्राटे ज्यादा खलल ना डाल पाएं. इसके अलावा वह अपने पति को दरवाजे के निकट भी सुलाना चाहती हैं ताकि जब घर में कोई चोर घुस आए तो उसका सामना उनका पति ही करे.
मानव व्यवहार और पारस्परिक संबंध के मनोवैज्ञानिक डोना डासन का कहना है कि पुरुष अपने उत्तरदायित्वों को लेकर परिपक्व होते हैं. वह अपनी पत्नी की रक्षा करना और उसे खुश देखना चाहते हैं. यही कारण है कि वह उसकी बात मानने में खुशी महसूस करते हैं. ऐसा वह किसी दबाव के कारण नहीं बल्कि अपने स्वाभाविक गुणों के कारण करते हैं.
डेली एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार सोने के लिए महिलाएं कौन सी जगह का चुनाव करती है यह भिन्न-भिन्न कारकों पर निर्भर करता है. जैसे अगर घर में छोटा बच्चा है तो महिलाएं दरवाजे के पास सोना पसंद करती हैं ताकि उन्हें बच्चे के रोने की आवाज आ सके, इसके अलावा कुछ महिलाएं ताजी हवा के लिए खिडकी के सामने सोना पसंद करती हैं.
इस अध्ययन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वजह चाहे जो भी हो, पति को हर हाल में अपनी पत्नी की इच्छा माननी ही पड़ती है.
इस अध्ययन को अगर हम भारतीय पुरुषों और उनकी मानसिकता के आधार पर देखें तो हो सकता है कि कुछ पुरुष अपनी पत्नी को इतना मान देते हों और उसकी बात मानना अपना कर्तव्य समझते हों. लेकिन ज्यादातर हालातों में तो पति अपनी पत्नी को अधीन रखने में ही अपनी शान समझते हैं.
वैवाहिक जीवन और परिवार के भीतर पुरुषों का ही आधिपत्य सामने आता है. महिलाओं को तो हमेशा उनके आदेशों और इच्छाओं का पालन करना ही सिखाया जाता है. अब ऐसे हालातों यह कहना थोड़ा कठिन है कि भारतीय पुरुष भी स्वाभाविक रूप से अपनी पत्नी की खुशी में खुद को संतुष्ट मानते हैं और उसकी इच्छाओं के आगे स्वयं को प्राथमिकता नहीं देते. Next…
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