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परेशानियां और आलोचनाएं ही आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती हैं !!

way to successऐसा माना जाता है कि जीवन में आने वाली परेशानियों और जटिलताओं का सामना वही व्यक्ति कर सकता है, जिसमें सहन करने की शक्ति हो. जो जल्दी हार मानकर बैठ जाएगा वह कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता. अपना एक मुकाम बनाने के लिए जितनी ज्यादा जरूरत लगन और परिश्रम की होती है उतना ही अपनी आलोचनाओं और असफलताओं को सहना भी जरूरी है.


व्यवसायिक क्षेत्र में नकारात्मक घटनाओं और परिणामों को सहन करने का महत्व इसीलिए भी ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि आपकी व्यक्तिगत जीवन की खुशियां भी बहुत हद तक इसी बात पर निर्भर करती हैं कि आप कार्यक्षेत्र में कैसा प्रदर्शन करते हैं. इसके अलावा निजी परेशानियों में दोस्त और संबंधी आपका साथ देते हैं लेकिन व्यवसायिक या कार्यक्षेत्र में आपको इन सब से अकेले ही निपटना पड़ता है. नैतिक मनोबल बढ़ाना और समस्याओं को सुलझाना अलग बात है, इसीलिए आपके भावनात्मक संबंध भी इस कार्य में आपकी सहायता नहीं कर पाएंगे.


जब भी हमें किसी परेशानी का सामना करना पड़ता है तो हम यही सोचते हैं कि राह में आने वाली समस्याएं और परेशानियां ही हमें आगे बढ़ने का हौसला देंगी. अगर आप इस कथन को मात्र एक भ्रम मानकर नजरअंदाज करते हैं या इस पर विश्वास नहीं करते तो एक नई स्टडी और उसकी स्थापनाएं आपको दोबारा सोचने के लिए विवश कर सकती हैं.


एक नए अध्ययन के अनुसार कार्यक्षेत्र में होने वाली आलोचनाएं और बॉस द्वारा मिलने वाले ताने व्यक्ति के भविष्य के लिए बहुत उपयोगी होते हैं. अगर किसी को काम में सफलता ना मिलने पर सहकर्मियों और बॉस से ताने मिलते हैं तो यह उसे और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है. इतना ही नहीं ऑफिस में अगर उसका मजाक उड़ाया जाता है तो यह भी तेज-तर्रार बनने और अपना बचाव करने के लिए बाध्य करता है.


इस अध्ययन के अनुसार यह तथ्य सामने आया है कि जब किसी व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में डाला जाता है तो वह उससे बाहर निकलने का भरसक प्रयास करता है. इसके लिए फिर चाहे उसे सहनशक्ति बढ़ानी पड़े या फिर क्रोधित होना पड़े वह अपना सौ प्रतिशत देता है.


इजराइल के बॉन इलान विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इंजीनियरिंग के 350 विद्यार्थियों को ग्राहक सेवा संबंधित कॉलसेंटर में भेजा. लोगों ने उन्हें फोन कर कई अजीबो-गरीब सवाल पूछे. छात्रों ने अपने क्रोध पर काबू रख उनके सभी सवालों का उत्तर दिया ताकि वे जल्द से जल्द इस परेशानी से निजात पा सकें.


इस अध्ययन को अगर हम अपने ऊपर प्रयोग कर देखें तो यह बात हम कतई नकार नहीं सकते कि जब भी हम किसी परेशानी में पड़ जाते हैं तो हम उससे बाहर निकलने का हर संभव प्रयास करते हैं. हम सिर्फ एक ही बात पर केन्द्रित रहते हैं कि जैसे-तैसे हमें इस समस्या को सुलझाना है. कार्य क्षेत्र में होने वाली आलोचनाएं जहां हमें मजबूत और प्रयत्नशील बनाती हैं वहीं दूसरी ओर निजी जीवन में आने वाली परेशानियों में हमें संयम बरतना और शांत रहना सिखलाती हैं.


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