भारतीय समाज में आज भी शारीरिक संबंधों का खुला प्रदर्शन पूर्णत: निषेध और घृणित माना जाता है. यहां तक की अगर कोई इस विषय पर बात भी करता है तो उसके आचरण और स्वभाव को संदेह की नजरों से ही देखा जाता है. सेक्स शब्द स्वयं अपने आप में एक ऐसा विषय है जो मुख्य रूप से मनुष्य की जिज्ञासा का केंद्र रहा है लेकिन एक लंबे समय तक इस जिज्ञासा को शांत करने का कोई विकल्प उपस्थित नहीं था. इंटरनेट के भारत आगमन के बाद शारीरिक संबंधों से जुड़ी जिज्ञासाओं का समाधान खोजा जाने लगा.
भारतीय समाज में विवाह रूपी संस्था एक सम्माननीय स्थान रखती है जिसकी सफलता के लिए परस्पर प्रेम और भावनाओं के अलावा शारीरिक संबंध भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लेकिन फिर भी भारतीय परिवारों के भीतर सेक्स के विषय में जिज्ञासा रखना और इनके बारे में कोई भी बात करना अनुचित माना जाता है.
लेकिन समय के साथ यह मानसिकता भी परिवर्तित होती जा रही है. एक नए अध्ययन के अनुसार हिंदी भाषी राज्यों में व्यक्ति शारीरिक संबंधों के विषय में खुल कर बात करने लगे हैं. लेकिन गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों में आज भी सेक्स जैसे विषयों को उजागर नही किया जाता.
वर्ष 2010 में संपन्न हुए एक शोध, जो शारीरिक संबंधों पर मनुष्य की जिज्ञासा, उनकी प्राथमिकताओं और पसंद-नापसंद जैसे मापदंडों पर आधारित था, के द्वारा यह प्रमाणित हुआ है कि पहले की अपेक्षा अब व्यक्ति बिना किसी हिचक के सेक्स संबंधित लगभग सभी जानकारियां बांटने में कोई बुराई नहीं समझते. यहां तक की वे अपनी व्यक्तिगत समस्याएं भी दोस्तों के साथ बांटते हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि अपनी परेशानी बताने से उन्हें कोई हल अवश्य मिल सकता है. इतना ही नहीं कई लोग सेक्स को ऐसा विषय ही नहीं मानते जिसे छुपाया जाना चाहिए. उनका मानना है कि शारीरिक संबंध स्वाभाविक और प्राकृतिक होते हैं, इनके विषय में बात करना जरूरी होता है.
लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि ऐसी विस्तृत होती मानसिकता केवल शहरी और आधुनिक क्षेत्रों तक ही सीमित है जहां शारीरिक संबंध विवाह के मोहताज नहीं रह गए. ग्रामीण इलाकों में आज भी सेक्स या इससे जुड़े विषयों को गैर जरूरी और फूहड़ ही समझा जाता है. इतना ही नहीं विवाह के बाद पति-पत्नी के बीच भी शारीरिक संबंधों से जुड़े मसले को सार्वजनिक करना घृणित ही माना जाता है.
शारीरिक संबंध पति-पत्नी के संबंध को और अधिक गहरा बनाते हैं. हमारे परंपरागत समाज में विवाह के पश्चात ही शारीरिक संबंध को मान्यता दी जाती है. लेकिन आधुनिक होती हमारी युवा पीढ़ी विवाह से पहले ही शारीरिक संबंधों में लिप्त होने लगी है. जानकारी के अभाव में वह गलत कदम उठा लेते हैं. इससे बेहतर है कि उन्हें पहले ही और सही समय पर शारीरिक संबंधों के महत्व और उससे जुड़े सवालों के जवाब प्रदान किए जाएं.
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