सॉरी और थैंक्यू दो बहुत ही सामान्य और आम बोलचाल वाले शब्द हैं. शायद ही कोई व्यक्ति अपनी दिनचर्या में इन शब्दों का प्रयोग ना करता हो. कहने को तो यह अंग्रेजी भाषा के शब्द हैं लेकिन हम भारतीय भी इन शब्दों के इतने ज्यादा आदी हो चुके हैं कि यह कब हमारे मुंह से निकल जाते हैं हमें खुद पता नहीं चलता.
अगर हमसे कोई गलती हो जाए या कोई हमारी वजह से दुखी है तो भले ही हमें अपनी गलती का अहसास ना हो लेकिन सॉरी जरूर बोलते हैं. लेकिन थैंक्यू जैसे स्वार्थी शब्द को बोलने में हम थोड़ी कंजूसी कर जाते हैं. हम ऐसे किसी को भी थैंक्यू नहीं कहते बल्कि इसको प्रयोग में तब लाते हैं जब कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करता है जिससे हमें प्रसन्नता होती है
लेकिन एक नई रिपोर्ट की मानें तो थैंक्यू शब्द जितना ज्यादा बोला जाए उतना अच्छा होता है. यह ना सिर्फ आपकी सेहत को चुस्त रखता है बल्कि मानसिक रूप से भी आपको संतुष्टि देता है.
मयामी विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर माइकल मैककलफ का कहना है कि थैंक्यू शब्द लोगों को आंतरिक प्रसन्नता और संतुष्टि देता है. यह एक ऐसा शब्द है जो दो लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है. भले ही थोड़े समय के लिए लेकिन यह शब्द दो अंजान व्यक्तियों के भीतर भी कृतज्ञता का भाव विकसित कर सकता है. यह आपका जीवन के प्रति दृष्टिकोण तो बदल ही सकता है साथ ही आपको खुश होने का भी एक मौका प्रदान करता है. इसीलिए जरूरी है कि आप जब भी किसी को शुक्रिया कहें उसे पूरे दिल से सम्मान भी दें, ना की सिर्फ एक औपचारिकता पूरी करने के लिए धन्यवाद कहें.
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से जुड़े मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट एमन्स का मानना है कि कृतज्ञ लोग अधिक जीवंत और चुस्त होते हैं. उनकी कृतज्ञता नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखती है. ऐसे लोगों को क्रोध और ईर्ष्या जैसी भावनाएं ज्यादा प्रभावित नहीं करतीं.
इस रिपोर्ट को अगर भारतीय पृष्ठभूमि के आधार पर देखा जाए तो शायद ही किसी अन्य देश के लोग इस शब्द का प्रयोग हमसे ज्यादा करते हों. ऐसे में स्वाभाविक है कि भारतीय लोग अपेक्षाकृत अधिक संतुष्ट और विनम्र स्वभाव के होते हैं. थैंक्यू जैसा शब्द जिसका उच्चारण ही अपनी स्वार्थ पूर्ति के बाद होता है उसका हमें संतुष्टि देना लाजमी है. जब कोई हमारे लिए या हमारे हित के लिए कार्य करेगा तो हमें प्रसन्नता होगी, जिसके बाद हम कम से कम उससे तो विनम्रता से बात जरूर करेंगे. अगर कोई आपके लिए कुछ करता है और आप उस व्यक्ति को सम्मान देते हैं तो यह बात जितना आपको प्रसन्न करती है उतना ही आपका कृतज्ञ स्वभाव दूसरे व्यक्ति को खुश करता है. इसीलिए आगे जब भी कोई व्यक्ति आपकी सहायता करे तो उसे दिल से थैंक्यू बोलिए ना कि सिर्फ खानापूर्ति के लिए.
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