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खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी है भावपूर्ण आलिंगन

hugging coupleआमतौर पर यह माना जाता है कि प्रेम-प्रसंग हो या वैवाहिक जीवन, भावनाओं से कहीं अधिक यौनाकर्षण को ही प्राथमिकता दी जाती है. इसके अलावा हमारे मस्तिष्क में यह धारणा भी प्रमुख रूप से विद्यमान रहती है कि शारीरिक संबंध ही पति-पत्नी को परस्पर बांधे रखते हैं, जिसकी गैर-मौजूदगी संबंध में तनाव का सूचक बन जाती है. अगर आपको भी यही लगता है कि केवल शारीरिक संबंधों के आधार पर ही पति-पत्नी के बीच नजदीकी और संबंध में मधुरता को चिन्हित किया जा सकता है, तो हाल ही में हुआ एक शोध आपको थोड़ा आश्चर्यचकित कर सकता है. इस सर्वेक्षण में आए नतीजों की मानें तो शारीरिक संबंध से कहीं अधिक प्रेमपूर्ण और भावपूर्ण आलिंगन पति-पत्नी को एक-दूसरे की नजदीकी और आपसी प्रेम का अहसास कराता है.


एक ब्रिटिश ऑनलाइन डेटिंग वेबसाइट द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण पर गौर करें तो यह बात प्रमाणित हो जाती है कि एक-दूसरे को गले लगाने से आपको केवल एक-दूसरे की करीबी का ही अहसास नहीं होता बल्कि आपको पारस्परिक मानसिक और भावनात्मक लगाव भी और अधिक महसूस होता है.


इतना ही नहीं, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जहां शारीरिक संबंध आपको केवल एक सीमा तक संतुष्टि प्रदान करता है, वहीं एक-दूसरे को गले लगाकर आप अपनी भावनाओं का इजहार तो करते ही हैं साथ ही अपने मनोभावों को भी विस्तार दे सकते हैं. यह आपको शारीरिक सुख के अलावा आत्मिक सुख भी प्रदान करता है. अगर पति-पत्नी अकसर एक-दूसरे को आलिंगनबद्ध करते हैं तो इसका अर्थ यह है कि वह ना सिर्फ शारीरिक रूप से एक-दूसरे के नजदीक हैं, बल्कि उनमें भावनात्मक लगाव भी अपेक्षाकृत अधिक है.


इसके विपरीत जिन संबंधों में शारीरिक संबंध या यौनाकर्षण की प्रवृत्ति अधिक विद्यमान रहती है, पति-पत्नी केवल इसी आधार पर एक-दूसरे के नजदीक रह सकते हैं. ऐसे संबंधों में दंपत्ति के बीच प्यार और विश्वास जैसे भाव न्यूनतम हो जाते हैं. उनके वैवाहिक जीवन में भावनाओं और स्नेह का महत्व गौण हो चुका होता है. परिणामस्वरूप वे एक-दूसरे के साथ कभी अपनी भावनाओं को सांझा नहीं कर पाते और कहीं ना कहीं उनमें एक दूरी आनी शुरु हो जाती है.


यद्यपि यह शोध एक ब्रिटिश कंपनी द्वारा कराया गया है, लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि विदेशी दंपत्तियों पर कराया गया यह शोध समान रूप से भारतीय विवाहित जोड़ों पर भी लागू होता है. क्योंकि संबंध चाहे कहीं भी हों, भावनाओं का महत्व और जरूरत समान रूप से महसूस किए जाते हैं. हालांकि पाश्चात्य देशों में भावनाओं का इतना महत्व नहीं रह गया है. भौतिकवाद से ग्रसित उनकी जीवनशैली, भोग-विलास में ज्यादा लिप्त रहने लगी है. ऐसे में अगर वहां शारीरिक संबंधों को ही एक स्वस्थ संबंध का आधार माना जाता है तो इसमें कोई हैरत वाली बात नहीं है. लेकिन भारतीय परिदृश्य में संबंध सिर्फ शारीरिक आकर्षण तक ही सीमित नहीं माने जा सकते. हमारी संस्कृति में विवाह को ना सिर्फ एक सामाजिक संस्था का दर्जा दिया गया है, बल्कि इसे धार्मिक आधार प्रदान कर और मजबूती भी प्रदान की गई है जिसके परिणामस्वरूप पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक बन जाते हैं. वह एक ऐसा संबंध सांझा कर रहे होते हैं, जो उन्हें जो शारीरिक तौर पर तो एक-दूसरे के साथ जोड़ कर रखता ही है, साथ ही वे परस्पर इतने अधिक सहज और अनौपचारिक हो जाते हैं कि अपनी हर छोटी-बड़ी बात एक-दूसरे के साथ बांटने लगते हैं. एक-दूसरे के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता उन्हें एक मजबूत डोर के साथ बांधे रखती है.


उपरोक्त के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पति-पत्नी जितना अधिक एक-दूसरे को आलिंगन के रूप में अपनी भावनाओं का अहसास कराएंगे, उतना ही उनमें संबंध में मधुरता और स्थिरता बनी रहेगी. उन दोनों के बीच भावनात्मक लगाव और स्नेह में भी अपेक्षित वृद्धि होगी.


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