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[Career Selection] कॅरियर निर्धारण में बच्चों की इच्छाओं को भी दें महत्व

students playing guitarवैभव को बचपन से ही गिटार (Guitar) बजाने का शौक रहा है. उसने हमेशा अपने भविष्य को एक बेहतरीत गिटार वादक(Guitarist) के रूप में ही देखा है. लेकिन अपने माता-पिता का इकलौता बेटा होने के कारण उसके पिता अपने व्यवसाय (Business) में ही उसे रखना चाहते थे. परिणामस्वरूप अभिभावकों (Guardian) ने उसके इस शौक को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया. वैभव ने भी अपने माता-पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए, अपनी महत्वकांक्षाओं को विराम दे दिया. आज भले ही वह एक आज्ञाकारी पुत्र की भांति पिता के व्यवसाय में उनका हाथ बंटा रहा हो. लेकिन जब भी उसे खाली समय (Leisure Time)  मिलता है, वह उसे गिटार बजा कर ही व्यतीत करता है. लेकिन आज भी उसकी भावनाएं उसे गिटार (Guitar) बजाने के लिए ही प्रेरित करती हैं.


ऐसा ही कुछ हाल बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली प्रिया का है. उसके माता-पिता यह बात जानते हैं कि उसका झुकाव पढ़ाई में नहीं बल्कि खेल-कूद (Sports) में है. लेकिन वह उसकी इस प्रतिभा को बढ़ावा ना देते हुए, पढ़ाई में उसकी तुलना अन्य बच्चों से करते रहते हैं और अंक (Marks) कम आने पर उसे डांटते भी हैं. जिसकी वजह से वह ना तो अपने माता-पिता के साथ रहना पसंद करती है और ना ही अपने मित्रों और रिश्तेदारों के साथ समय बिताती है. वह अकेले ही अपने अंदर चल रहे द्वंद से लड़ती रहती है.


अगर आपके बच्चे के अंदर भी ऐसी ही किसी प्रतिभा का विकास हो रहा है तो आप उसे कतई नजरअंदाज ना करें. बल्कि निम्नलिखित जरूरी सुझावों पर ध्यान दें:


  • अन्य गतिविधियों (Activities) के प्रति अपने बच्चे के रुझान को अनदेखा ना रहने दें. बल्कि आप अपने बच्चे को उसे जारी रखने के लिए प्रेरित करें.
  • हर बच्चे की मानसिक योग्यता (Mental Ability) समान नहीं होती, अगर आपका एक बच्चा पढ़ाई में अच्छा है तो जरूरी नहीं दूसरा भी हो. तुलनात्मक स्वभाव (Comparative Nature)  ना अपनाएं.
  • अगर आप बच्चे को उसके पसंद के अनुसार कॅरियर (Career) चुनने की आजादी देंगे तो उसमें वह अन्य बच्चों से श्रेष्ठ ही साबित होगा.
  • अपने निर्णय अपने बच्चों पर ना थोपें, उसके कॅरियर निर्धारण (Career Selection) में अपनी भूमिका एक मार्गदर्शक (Guide)  तक ही सीमित रखें.
  • वर्तमान समय में अकादमिक क्षेत्र (Academic Field) से कई बेहतर विकल्प (Option) अन्य क्षेत्रों में मौजूद हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए अपने बच्चों की इच्छाओं का भी उचित सम्मान करें.
  • तानाशाह (Tyrant) की परंपरागत भूमिका से बचते हुए अपने बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार (Friendly Behavior) रखें.

अकसर यह देखा गया है कि माता-पिता अपने बच्चों की प्रतिभा (Talent)  को अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा का एक सशक्त माध्यम समझ लेते हैं. जिसके सामने बच्चों की खुशी व उनकी महत्वकांक्षाएं गौण (Secondary) हो जाती हैं. उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हर बच्चे में भिन्न-भिन्न प्रकार की खूबियां होती हैं. भले ही पहले केवल पढ़ाई लिखाई को ही अहमियत दी जाती थी. लेकिन अब हालात ऐसे नहीं रहे. आज हर क्षेत्र जैसे खेलकूद(Sports), कला (Arts), पढाई (Study)  आदि में कॅरियर बनाने के समान अवसर मौजूद हैं. माता-पिता का संबंध बच्चों के साथ बेहद भावनात्मक होता है और जब आप अपने बच्चे में छुपी प्रतिभा को पहचानने के बाद उसे उचित बढ़ावा देते हैं, तो आपकी यह सकारात्मक पहल (Positive Initiative)  आपके बच्चे के उत्साह को और अधिक बढ़ा देती है जो अभिभावकों और बच्चों के आपसी रिश्ते को और अधिक बढ़ाने में भरपूर योगदान देती है.


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