भारतीय महिलाएँ विशेष रूप से हिन्दू और मुसलमान औरतों में शादी के बाद बिछिया पहनने का रिवाज़ है. कई लोग इसे सिर्फ शादी का प्रतीक चिन्ह और परंपरा मानते हैं लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है जिसके बारे में कम ही लोगों को पता है. कैसे और क्यों विज्ञान पर आधारित यह परंपरा आज भी महिलाओं के बीच कायम है!
वेदों में यह लिखा है कि दोनों पैरों में चाँदी की बिछिया पहनने से महिलाओं को आने वाली मासिक चक्र नियमित हो जाती है. इससे महिलाओं को गर्भ धारण में आसानी होती है.
हमारे महान ग्रंथ रामायण में भी बिछिया का ज़िक्र है. जब माता सीता को खोजते हुए हनुमान लंका पहुँचते हैं तो सीता उन्हें अपने पैरों की बिछिया उतारकर देते हैं ताकि श्रीराम समझ सके कि वो अभी ज़िंदा हैं. वैदिक समय में भी महिलाएँ जिन आभूषणों को पहनने पर सोलह श्रृंगार से सजी मानी जाती थी उनमें से बिछिया एक है.
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