“नजरिया ही तो होता है जो हर चीज को अलग तरीके से देखने की शक्ति देता है”
आपने अपने स्कूल या कॉलेज की क्लास में कभी अपनी उमर से ज्यादा के व्यक्ति के साथ में पढ़ने का अनुभव लिया होगा और आप में से किसी ने कहा होगा कि इतना बड़ा होकर हमारे बीच में पढ़ाई कर रहा हैं पर आप में कोई ऐसा भी होगा जिसने कहा होगा कि उमर से पढ़ाई का क्या नाता है. देखा आपने यह सिर्फ सोचने और चीजों को देखने का अपना-अपना नजरिया होता है. इस दुनिया में हजारों व्यक्ति हैं पर हर किसी के सोचने का अपना अलग नजरिया है. हर सोच अपने आप में खास होती है और होनी भी चाहिए क्योंकि जहां बहुत से सोचने वाले लोग होते हैं वहां चीजों को देखने के बहुत से नजरिए भी होते हैं. किसी ने सच ही कहा है कि ‘कौन सा नजरिया क्या बदलाव कर दे कोई नहीं जानता है’.
हर नजरिया कुछ कहता है
हर व्यक्ति की अपनी सोच है तो जाहिर है देखने का अपना-अपना नजरिया भी होगा. आप में से कुछ लोगों को वो समय याद होगा जब आप अपने से बड़े उमर के लड़के या लड़की के साथ शादी करने का विचार मन में लाए होंगे पर ‘किसी ने कहा होगा कि पागल हो गए हो क्या जो जवानी में होश खो रहे हो’ और किसी ने कहा होगा कि ‘शादी के लिए उमर मायने नहीं रखती है अगर मायने रखता है तो वो है प्यार’. देखा लोगों की सोच में कितना अंतर होता है? जैसे शादी से पहले पत्नी की पिछली जिंदगी को कुछ पति यह कह कर अपना लेते हैं कि हर किसी की पिछली जिंदगी होती है लेकिन उन्हें केवल भावी जिंदगी से मतलब है पर कुछ पति यह कहते हैं कि महिलाओं को कोई हक नहीं कि वो शादी से पहले किसी से प्यार करें.
सोच को बदल कर हमारे समाज को एक नया नजरिया पेश करना होगा जिसमें हर व्यक्ति बराबर हो. जहां हर व्यक्ति का नजरिया दूसरे व्यक्ति के लिए सही और अच्छा हो.
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