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माँ बीनती है कूड़ा, बेटी बनी मिस ब्यूटी क्वीन

“लम्हें छू लेते हैं दिल को की रूँध जाते हैं गले”. ‘मिस अनसेंसर्ड न्यूज 2015’ के लिये उसकी ज़िंदगी के वो लम्हें कुछ ऐसे थे जैसे बैंक पासबुक में लेन-देन की अंकित प्रविष्टियाँ. अंतर महज भावनाओं और संवेदनाओं का था. मिस अनसेंसर्ड न्यूज बन चुकी खानिट्टहा फासायेंग को अपनी ऐसी परवरिश के लिये किसी को धन्यवाद कहना था.


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शुक्रिया अदा करने के लिये वो उन्हीं गलियों में पहुँची जहाँ उसकी शुरुआती ज़िंदगी की बहुत सारी यादें थी. गंदगी पसरी उस गली में वापस जाना उसकी विवशता नहीं थी. उसे तो आभार की अभिव्यक्ति करनी था. उस गली में उसकी माँ रहती थी. फासायेंग अपनी माँ से मिलने उस गली में पहुँच गई. गंदगी भरे कूड़ेदानों के सामने उसकी माँ थी.


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थाईलैंड की 17 वर्षीया मिस अनसेंसर्ड न्यूज 2015 खानिट्टहा फासायेंग उन्हीं कपड़ों में माँ के कदमों में झुकी जिन कपड़ों में दुनिया ने उसे शोहरत की सीढ़ियाँ चढ़ते देखा.


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उन्हीं गलियों में उसकी माँ ने कूड़ों को एकत्र और उसके पुर्नचक्रण से मिले पैसों से फासायेंग को अपना जीवन सँवारने का मौका दिया था. गरीबी से जूझती उस 17 साल की लड़की के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अपनी उच्च शिक्षा पूरी कर सके. लेकिन वर्षो पहले पिता के परिवार से अलग हो जाने के बाद उसकी माँ ने उसकी ज़िंदगी और अरमानों को मरने नहीं दिया. वह कूड़े के पुर्नचक्रण से मिले पैसों से उसकी ज़िंदगी सँवारती रही.


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इस मेहनत ने रंग दिखाया और देखते ही देखते फासायेंग शोहरत की पहली सीढ़ी पार कर गई. पर उन सीढ़ियों पर चढ़कर भी उसकी ज़िंदगी माँ के कदमों में झुकी रही..Next


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