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मुश्किल पैदा कर सकता है सफर के बीच मोबाइल का इस्तेमाल

walking and talkingप्राय: देखा जाता है कि लोग सड़क पार करते हुए या फिर गाड़ी चलाते हुए मोबाइल का प्रयोग करते हैं. लेकिन एक नए शोध ने यह प्रमाणित कर दिया है कि सड़क पर चलते समय मोबाइल या फिर किसी अन्य भटकाऊ यंत्रों का प्रयोग करना आपके जीवन को खतरे में डाल सकता है.



एक अध्ययन के आधार पर डेली एक्सप्रेस में प्रकाशित हुई रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के अनुसार करीब 58 प्रतिशत पुरुष और 53 प्रतिशत महिलाएं यातायात में फंसे होने के कारण मोबाइल पर बात या मैसज करते हैं. जिनमें से एक-तिहाई लोगों ने यह माना है कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर कभी-कभार लापरवाह हो जाते हैं. दस में से एक व्यक्ति का तो यह भी कहना है कि सड़क पार करते समय वह अपने अत्याधुनिक संयंत्रों से चिपके रहते हैं. चार प्रतिशत लोगों ने तो इस बात को भी स्वीकार किया है कि वे ट्रैफिक और व्यस्त सड़कों पर चलते हुए या गाड़ी चलाते हुए ईमेल या एसएमएस भेजते हैं.


सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है सड़क पर चलते समय हजारों लोग अपने आईपॉड और एमपी3 में चलने वाले गानों की वजह से भटक जाते हैं.


विदेशी लोगों को केन्द्र में रखकर हुआ यह नवीन सर्वेक्षण भारतीय परिदृश्य पर भी जस का तस लागू होता है. यहां भी ऐसे लोग आसानी से देखे जा सकते हैं जिन्हें राह चलते हुए अपने मोबाइल पर गाने सुनने और मैसेज टाइप करने में महारथ प्राप्त हो चुकी है. वह आसपास ध्यान देने की बजाय अपने आईपॉड पर गाने बदलना ज्यादा जरूरी समझते हैं. उन्हें सड़क पर चलते हुए भारी यातायात और भीड़भाड़ से कोई लेना देना नहीं होता.


हद तो तब हो जाती है जब वह किसी दुर्घटना का शिकार होने और पूर्णत: अपनी लापरवाही होने के बावजूद अपने गलती ना मानकर दूसरे लोगों पर दोषारोपण करते हैं. आईपॉड, लैपटॉप, मोबाइल जैसे आधुनिक यंत्रों ने समाज, विशेषकर युवाओं के बीच अपनी जगह निर्धारित कर ली है. इनकी लोकप्रियता इस हद बढ़ चुकी है कि वे युवाओं के लिए एक प्राथमिक जरूरत बन गए हैं. थोड़ा सा समय मिलते ही वह इनका प्रयोग करने लगते हैं. अगर समय नहीं भी मिल पाता तो वे चलते-फिरते ही अपनी ख्वाहिश को पूरा कर लेते हैं. उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर होना चाहिए. व्यक्ति जीवन बहुत अनमोल होता है. अपनी लापरवाही और नासमझी के कारण स्वयं और अन्य लोगों को कष्ट पहुंचाना एक गलत रवैया है. एक समझदार और परिपक्व व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझने के साथ-साथ अपने जीवन की भी कद्र करे.


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