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मैंने धोखा दिया क्योंकि मैं दे सकता था !!!

extra marital affairफिल्मी कहानियां हों या असल जिंदगी, विवाहेत्तर संबंध जैसा विषय कोई नई बात नहीं है. उल्लेखनीय है कि स्वभाव से भावनात्मक और समर्पित समझी जाने वाली महिलाएं भी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की दौड़ में पुरुषों से बहुत ज्यादा पीछे नहीं हैं. यह कहना कदापि गलत नहीं होगा कि महिला और पुरुष दोनों विवाह से बाहर संबंध बनाने की फिराक में रहते हैं. इतना ही नहीं अगर उन्हें मौका दिया जाए तो शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो इस स्वर्णिम अवसर को हाथ से जाने देगा.


लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों लोग संबंधों से बाहर जाने की कोशिश करते हैं? अपने साथी को धोखा क्यों देते हैं? ऐसा भी नहीं है कि धोखा और विश्वासघात करने का यह चलन आधुनिकता की देन है. क्योंकि पहले ही किस्से-कहानियों के माध्यम से कई ऐसे उदाहरण हमारे सामने प्रस्तुत किए जा चुके हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि विवाहेत्तर संबंध बनाना कोई नई बात नहीं है. प्राचीन काल से भी स्त्री और पुरुष अपनी शारीरिक और भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए विवाह के इतर संबंध बनाते रहे हैं. हो सकता है कि विवाह के बाहर संबंध बनाने के पीछे यह धारणा मुख्य रूप से विद्यमान रही हो कि अगला इंसान हमारी इच्छाएं पति या पत्नी से कही बेहतर पूरी कर सकता है या फिर इसे मानव स्वभाव या उसकी फितरत ही कहा जाए जिसमें मौका मिलते ही धोखा देना कोई गलत बात नहीं मानी जाती.


गौर करने वाली बात यह है कि विवाहेत्तर संबंध स्थापित करना वैवाहिक संबंध को समाप्त करने जैसा नही है, कम से कम उस व्यक्ति की ओर से तो नहीं जो अपने साथी को धोखा देता है. हां, यह बात जरूर है कि उसका साथी उसके धोखे को सहन ना कर पाए. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर मात्र अपनी निजी जरूरतें पूरी करने जैसा है. पति अगर अपनी पत्नी से भावनात्मक लगाव ना रख पाए, और अगर यही लगाव उसे किसी अन्य पुरुष से मिल जाए तो वह उसके साथ संबंध रखने में कोई हर्ज नहीं समझती. भले ही वह अपने परिवार को लेकर कितनी ही गंभीर क्यों ना हो, लेकिन उसे अपनी आकांक्षाएं भी घेर लेती हैं. वहीं दूसरी ओर पत्नी अगर पति की शारीरिक इच्छाएं पूरी नहीं कर पाती तो स्वाभाविक तौर पर वह विवाह से बाहर देखेगा.


लेकिन आजकल का ट्रेंड थोड़ा बदल गया है. आज शारीरिक और भावनात्मक जरूरतों के अलावा भी एक जरूरत है जो सीधे-सीधे अपने शौक और आर्थिक जरूरतों से जुड़ी हुई है. जिसे पूरा करने के लिए विशेषकर महिलाएं अपने वैवाहिक संबंध की बलि देने से भी नहीं हिचकिचातीं.


इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगर पकड़े जाने का खतरा न हो तो ज्‍यादातर लोग अपने साथी के साथ बेवफाई करेंगे. हालांकि ऐसे उदाहरण भी हैं जिसमें चारो तरफ से खतरों से घिरे लोगों ने भी अपने विवाह के बाहर संबंध रखा है.


हमारे बड़े-बुजुर्ग भले ही हमें नैतिकता का पाठ पढ़ाते हों, विद्यालयों में नैतिक शिक्षा को  मुख्य स्थान दिया जाता हो, लेकिन आंकड़ों की मानें तो व्यावहारिक तौर पर यह ज्ञान कदापि कारगर सिद्ध नहीं हो सकता. भारत हो या फिर पाश्चात्य देश लगभग सभी जगहों पर ऐसे मामले मिल ही जाते हैं. जिसमें महिलाएं या फिर पुरुष अपने साथी को धोखा देते हैं या फिर जरूरत पड़ने पर दे सकते हैं.


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