प्रकृति द्वारा महिला और पुरुष को एक-दूसरे के पूरक के रूप में पेश किया गया है. यही वजह है कि प्रेम या फिर विवाहित संबंध में बंधने के बाद एक-दूसरे की कमियों को पूरा करना उनका पहला दायित्व और शायद रिश्ते को स्थायी रखने के लिए यही उनका आधार बनता है. हम जानते हैं कि पुरुषों का स्वभाव महिलाओं से पूरी तरह भिन्न होता है. जहां महिलाएं बेहद भावुक और परिवार के प्रति पूर्ण समर्पित होती हैं वहीं इसके विपरीत पुरुष बहुत हद तक व्यवहारिक दृष्टिकोण रखते हैं. चाहे ना चाहे वह पत्नी या प्रेमिका की भावनाओं को बहुत ज्यादा या हर समय महत्व नहीं देते.
हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह प्रमाणित किया गया है कि रोमांटिक संबंधों के संदर्भ में हमेशा महिलाएं ही बाजी मारती हैं. लेकिन अगर आप यह सोचते हैं कि बाजी मारने का मतलब यह है कि प्रेम संबंधों में होने वाली तकरारों में हमेशा महिलाएं ही जीतती हैं या फिर वह अपने साथी को उनके सामने झुकने के लिए राजी कर लेती हैं, तो आपको जानकर हैरानी होगी कि वैज्ञानिकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब भी प्रेम संबंधों में झुकने या फिर साथी का ध्यान रखने की बात आती है तो इस क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कहीं ज्यादा समर्पित होती हैं.
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ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि साथी को फोन कर उसका हाल चाल जानना हो या फिर खुद को भावुक रखकर साथी के प्रति पूरी तरह समर्पित रहना हो, महिलाएं हमेशा पुरुषों से आगे रहती हैं.
एक करोड़ से ज्यादा फोन कॉल और 4 करोड़ से ज्यादा एसएमएस का विश्लेषण कर वैज्ञानिकों ने पाया कि महिलाएं समय-समय पर अपने साथी को फोन कॉल करती रहती हैं, भले ही साथी की ओर से प्रतिक्रिया ना मिले, वह उनकी कुशलता के बारे में जानना अपनी जिम्मेदारी समझती हैं. इतना ही नहीं संदेशों के माध्यम से भी वह साथी के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार करती रहती हैं या फिर उन्हें यह अहसास दिलाती हैं कि वह उनके लिए कितने जरूरी हैं.
शोध के दौरान यह भी पाया गया है कि संबंध के शुरुआती कुछ सालों में पुरुष अपने साथी के प्रति जिम्मेदारी को समझकर उसे समय देते हैं लेकिन समय बीतने के साथ-साथ वह उनकी ओर से ध्यान हटाकर अपने दोस्तों के ऊपर केंद्रित कर लेते हैं. शोध के सह-लेखक रॉबिन डनबर का कहना है कि संबंध की मजबूती पुरुषों से ज्यादा महिलाओं के लिए मायने रखती है, इसीलिए वह अपने संबंध को कायम रखने की हर संभव कोशिश करती हैं.
सर्वेक्षण की अन्य स्थापनाओं के अनुसार यह भी कहा गया है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं में परिपक्वता तो बढ़ती ही है इसके साथ ही उनमें मातृत्व भावना भी बढ़ जाती है. वह छोटी बच्चियों को बहुत प्रेम करने लगती हैं.
उपरोक्त अध्ययन को अगर हम भारतीय परिवेश के अनुसार देखें तो हम इसकी स्थापनाओं को किसी भी रूप में नजरअंदाज नहीं कर सकते. घरेलू मसलों से जुड़ी हर परिस्थितियों में प्राय: यही देखा जाता है कि महिलाएं अपने परिवार और पति के लिए हमेशा समर्पित रहती हैं. अपने साथी की कुशलता के लिए चिंता करना और समय-समय पर उन्हें फोन करना उनकी आदत में शुमार है. वैसे इस मामले में हम पुरुषों को भी दोषी नहीं ठहरा सकते क्योंकि साथी की इस आदत से उन्हें भी यह आश्वासन हो जाता है कि चाहे वह अपनी पत्नी या प्रेमिका को फोन करें या ना करें वह जरूर उन्हें कॉल कर लेंगी. वैसे भी जब दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं तो एक की कमी को पूरा करना दूसरे की ही जिम्मेदारी है.
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