भारतीय समाज अपने मौलिक रूप में ही पुरुष प्रधान रहा है. परंपरागत तौर पर यहां महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम आंका गया है. इसके अलावा यह भी देखा गया है कि घर के मामलों में भी गृहणी के सुझावों को उतनी अहमियत नहीं दी जाती या उनके सुझावों को अनसुना कर दिया जाता है. समय बदलने के साथ भले ही महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही हों, लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि आज भी ऐसे कई परिवार हैं जहां महिलाओं को सिर्फ रसोई तक ही सीमित रखा गया है, और उन्हें किसी भी तरह का निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं दिया गया है.
अगर आप भी ऐसी ही किसी मानसिकता के शिकार हैं तो यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया द्वारा कराए गए एक शोध के परिणाम संभवत: आपको आश्चर्यचकित जरूर कर सकते हैं. हाल ही में हुए इस अध्ययन से यह प्रमाणित हुआ है कि भले ही शारीरिक तौर पर महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कमजोर हों लेकिन मानसिक रूप से वह पुरुषों से कहीं अधिक मजबूत होती हैं, इसके अलावा किसी भी परिस्थिति में सही निर्णय लेने में भी वे सक्षम हैं.
सर्वेक्षण से यह बात भी सामने आई है कि अगर आप किसी परेशानी की वजह से तनाव में हैं और इस बीच आपको कोई जरूरी निर्णय लेना है तो बिना कुछ सोचे-समझे उसे अपनी पत्नी के ऊपर छोड़ दें. क्योंकि ऐसे हालातों में भी महिला और पुरुषों के निर्णय लेने के तरीके में अंतर होता है. तनाव की वजह से जहां पुरुष जल्दबाजी में निर्णय ले लेते हैं, जो बाद में नुकसानदेह साबित होते हैं, वहीं महिलाएं धैर्य और संयम के साथ सोच-समझकर निर्णय लेती हैं.
वैज्ञानिकों का भी यह मानना है कि निर्णय करने में समझदारी दिखाना तथा वक्त लगाना हमेशा अच्छा रहता है और महिलाएं अक्सर ऐसा ही करती हैं.
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