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आपकी उम्र निर्धारित करती है कि आप कैसा दिखना चाहते हैं..!!

अगर आप यह सोचते हैं कि महिलाएं पुरुषों को अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए सजती-संवरती हैं, या  केवल अपने प्रेमी को प्रभावित करने के लिए ही वे शीशे के सामने खुद को निहारते हुए घंटों गुजार देती हैं, ताकि वह अपनी सुंदरता से अपने प्रेमी को मंत्रमुग्ध कर सकें, तो हाल ही में हुआ एक सर्वेक्षण और उसके परिणाम आपको आश्चर्यचकित जरूर कर सकते हैं!



women dressesएक सर्वेक्षण द्वारा यह साफ हो जाता है कि महिलाएं किसी पुरुष को ध्यान में रखकर नहीं तैयार होतीं. वे तो अपनी महिला मित्रों को प्रभावित करने के लिए और उनका ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए यह सब करती हैं. एक और महत्वपूर्ण बात जो सामने आई है वो यह कि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा, अच्छे कपड़ों और गहनों में अधिक दिलचस्पी लेती हैं और अन्य महिला द्वारा की गई सराहना उन्हें किसी पुरुष द्वारा की गई प्रशंसा से अधिक खरी और प्रभावी लगती है.


लेकिन दूसरी ओर देखा जाए तो ऐसी प्रवृत्तियों में उम्र एक निर्णायक कारक सिद्ध होती है, क्योंकि हर आयु वर्ग की महिलाओं की प्राथमिकताएं अन्य आयु वर्ग की महिलाओं से काफी हद भिन्न होती हैं, जिसके  आधार पर वह खुद को दूसरों के सामने प्रस्तुत करती हैं.उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो किशोरावस्था में आपकी प्राथमिकता अपने दोस्तों के बीच प्रतिष्ठा कायम करने की होती है, और इसी उद्देश्य को ध्यान मे रखते हुए आप स्वयं के ऊपर अधिक ध्यान देने लगते हैं, आप कैसे दिख रहे हैं, इसको लेकर अधिक जागरुक रहते हैं. लेकिन युवावस्था तक आते-आते विपरीत सेक्स की ओर आकर्षण बढ़ने लगता है, और फिर उन्हीं को केन्द्र में रखकर आप सजते-संवरते, और अपने लिए कपड़ों का चयन करते हैं, ताकि वे भी आप में दिलचस्पी लेने लगें. वहीं दूसरी ओर महिला मित्रों के बीच अपनी साख बढ़ाने के लिए भी खुद की साज सज्जा को अधिक महत्व देने लगते हैं, ताकि वे आपके बाहरी व्यक्तित्व से प्रभावित हो आपकी तारीफ करें. परंतु जैसे-जैसे हम उम्र के एक परिपक्व मोड़ पर आते हैं हमारी प्राथमिकताएं एकदम बदल जाती हैं, क्योंकि उस समय ध्यान पूर्ण रूप से खुद पर केन्द्रित हो जाता है, और आप वही पहनते और उसी तरह से तैयार होते हैं जिसमें आप खुद को सहज महसूस करते हैं.


यद्यपि यह सर्वेक्षण एक विदेशी एजेंसी द्वारा किया गया है, लेकिन अगर भारत के संदर्भ में इसे देखा जाए, तो भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है, और जब वैश्वीकरण के इस दौर में हमारा समाज तेजी से बाहरी चीज़ों को ग्रहण कर रहा है, तो संभवत: ऐसी मानसिकता हमारे समाज पर भी प्रधान रूप से हावी हो सकती है. इसे आज  काफी हद तक ऐसा देखा भी जा सकता है. आज महिलाएं अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने के स्थान पर महंगे कपड़ों और साज-श्रृंगार के सामान पर अधिक धन व्यय कर रही हैं, जो कहीं न कहीं हमारी उनकी आर्थिक स्थिति को कमजोर धरातल पर खड़ा करती है. भारत मे प्रति व्यक्ति आय का बंटवारा बेहद असामान्य और चिंताजनक है. एक ओर तो वे लोग हैं जो अपनी दैनिक जरूरतों को बमुश्किल पूरी कर पाते हैं, वहीं दूसरी ओर वह सभ्रांत वर्ग भी है जो समाज में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए व्यर्थ के  खर्च करते हैं.


आज के प्रतिस्पर्धा प्रधान माहौल में अगर आप खुद को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करते हैं तो यह आपके आत्म-विश्वास को तो बढ़ाता ही है, इसके अलावा आप दूसरों पर अपना प्रभाव छोड़ने में भी सफल रहते हैं, और इसमें कोई बुराई भी नहीं है. खासतौर पर महिलाओं की यह मानसिकता रहती है कि वे हमेशा ही अच्छी और खूबसूरत दिखें, लेकिन अगर इसे भेड़चाल का रूप दे दिया जाए, तो स्थिति के गंभीर और असामान्य होने में अधिक वक्त नहीं लगेगा, जिसके दूरगामी परिणाम हमारे समाज के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं.


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