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कभी आत्महत्या करने वाली थी आज करोड़ों रुपए की मालकिन है !!

महिलाओं के विषय में यह माना जाता है कि वह प्रकृति की सबसे कमजोर कृतियों में से एक हैं, जिन्हें हर कदम पर किसी ना किसी पुरुष के साथ की आवश्यकता पड़ती है. शिक्षा से लेकर रोजगार तक, जीवन के किसी भी क्षेत्र में वह बिना पुरुष के सहारे के सफल नहीं हो सकतीं. अपने ऊपर होने वाले दमन, शोषण और अत्याचार होने के बाद अपने जीवन से हार मान जाने वाली महिलाओं से जुड़ी कई घटनाएं आपने सुनी होंगी लेकिन जिस महिला की हम यहां बात करने वाले हैं उसने अपनी राह में आने वाली हर मुश्किल ना सिर्फ डटकर सामना किया बल्कि उन महिलाओं के लिए एक ऐसी मिसाल पेश की है जो अपनी पारिवारिक परिस्थितियों को नजरअंदाज कर अपने लिए कुछ करना चाहती हैं.


kalpanaकल्पना सरोज उस दलित महिला का नाम है जिसने गरीबी, शोषण और अपने साथ होते पक्षपात से तंग आकर एक दिन आत्महत्या का प्रयास किया लेकिन उनकी किस्मत उन्हें कुछ और ही दिखाना चाहती थी इसीलिए उनका वह प्रयास असफल साबित हुआ. कल्पना आज करोड़ों की कंपनी की मालकिन हैं. आपको जरूर यह किसी बॉलिवुड फिल्म की कहानी जैसी लग रही होगी लेकिन यह उस महिला की हकीकत है जिसका मात्र 12 साल में विवाह कर दिया गया था और वो भी अपने से 10 वर्ष बड़े व्यक्ति के साथ.


विवाह के बाद कल्पना मुंबई तो जरूर आ गईं लेकिन वहां जाकर झुग्गी में रहना उनके लिए असहनीय था उसके ऊपर ससुराल वालों का अत्याचार. कल्पना को वापस अपने पिता के घर जाना पड़ा. कल्पना का कहना है कि उनके पति के बड़े भाई और भाभी ना सिर्फ बुरा व्यवहार करते थे बल्कि उन्हें शारीरिक रूप से भी प्रताड़ित करते थे. वह प्रतिदिन इन सबसे जूझती थीं.


घर वापस लौटने के बाद उन्हें लोगों की नजरों का सामना तो करना पड़ा लेकिन इन सबके बावजूद कल्पना सरोज ने हिम्मत नहीं हारी और आत्मनिर्भर बनने के लिए सिलाई सीखी. वह पैसे तो कमाने लगी थीं लेकिन उन पर सामाजिक दबाव बहुत ज्यादा था इसीलिए एक दिन उन्होंने जहर खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया पर डॉक्टरी मदद के कारण वह बच गईं.


इस घटना के बाद कल्पना ने यह निर्णय ले लिया कि वह मरने से पहले कुछ करना चाहती हैं. सोलह साल की उम्र में वह अपने एक परिचित के पास वापस मुंबई आ गईं और दर्जी का काम करने लगीं. शुरू में उन्हें एक दिन में 50 रुपए से भी कम मिलते थे लेकिन फिर उन्होंने औद्योगिक सिलाई की मशीन चलानी सीखी जिसके कारण उनकी आय में बढ़ोत्तरी हुई.


अब तक कल्पना को जीवन में पैसे की अहमियत समझ आ चुकी थी. उन्होंने फर्नीचर का व्यापार करने और सिलाई के काम को बढ़ाने के लिए सरकारी ऋण लिया. वह दिन के 16 घंटे काम करती थीं जो आज भी कायम है.


उम्र के परिपक्व मुकाम पर पहुंचने के बाद कल्पना ने एक व्यापारी से विवाह किया उनके दो बच्चे हैं. अपनी स्वतंत्र पहचान बना चुकी कल्पना को कमानी टयूब्स नामक कंपनी चलाने का मौका मिला जो कर्ज में थी.


लेकिन कल्पना ने अपनी मेहनत और लगन के कारण बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी इस कंपनी की किस्मत पलट दी. आज कमानी ट्यूब्स 500 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की एक निरंतर बढ़ती हुई कंपनी है जिसके नाम पर मुंबई में दो सड़कें भी हैं.


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