विचार मंथन में महिलाएं पुरुषों से बहुत अलग होती हैं. विचार को व्यक्त करना हो या प्यार का इज़हार करना, महिलाएं पुरुषों से आगे होती हैं. लेकिन कभी-कभी महिलाओं का यह व्यक्तित्व उनके लिए मुश्किल खड़ी कर देता है.
गलती किसी की भी हो, महिलाओं की प्रवृत्ति में होता है कि वह उस गलती से अपने आपको जोड़ती हैं, इसके लिए उन्हें ग्लानि भी होती है साथ ही महिलाएं उन गलतियों की दोषी अपने आपको मान कर पश्चाताप की आग में जलती रहती हैं. अब एक शोध ने भी यह साबित कर दिया है कि दिन में कम से कम एक बार महिलाएं शर्मिंदा होती हैं.
महिलाओं पर स्टाइलिस्ट मैगजीन के द्वारा कराए गए एक शोध से पता चलता है कि 96 प्रतिशत दिन में कम से कम एक बार किसी भी गलती के लिए अपने आपको दोषी मानती हैं और उससे वह शर्मिंदा भी होती हैं और इनमें से लगभग 50 फीसदी महिलाएं तो तो दिन में चार बार खुद को दोषी मानती हैं भले ही वह गलती किसी और की हो.
इसके अलावा इस शोध से यह भी पता चलता है कि न केवल रिश्तों में फैसलों का दोष महिलाएं अपने ऊपर लेती हैं बल्कि छोटी-छोटी बातें जैसे की बॉडीशेप सही न होना, किसी कार्य में मिनट भर की देरी होना आदि से भी महिलाएं शर्मिंदा होती हैं.
महिलाओं की इस प्रवृत्ति के कारण उन्हें बहुत कुछ झेलना भी पड़ता है जैसे रातों को नींद नहीं आना, तनाव होना, परिवार वालों से दूर होना इत्यादि. इसके अलावा बच्चा होने के बाद महिलाओं में यह प्रवृत्ति बढ़ जाती है.
इसके विपरीत पुरुष अगर कोई गलती करते हैं तो वह दूसरे पर अंगुली उठाने से ज़रा सा भी नहीं चूकते हैं.
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