सफलता किसे अच्छी नहीं लगती. अगर आपके द्वारा किए गए परिश्रम का नतीजा सफलता का रूप ग्रहण कर ले तो निश्चित रूप से आपकी खुशियों की कोई सीमा नहीं रह जाती. लेकिन आज जब हम सभी सफलता के लिए प्रयासरत हैं तो निश्चित है कि हमें स्वयं को दूसरों से बेहतर साबित करना होगा. लेकिन इस चक्कर में खुद को दूसरों से अलग कर चलना कतई जरूरी नहीं है. प्राय: देखा जाता है कि सफलता के पीछे भागता व्यक्ति अपने साथ काम करने वाले या एक ही क्षेत्र में काम करने वाले लोगों से ईर्ष्या, द्वेष रखता है या अहंकार जैसी भावनाएं रखने लगता है. अपने काम को पहचान दिलवाने के लिए वह दूसरों के राह में बाधा डालने से भी नहीं चूकता. कभी-कभार तो आलम यह हो जाता है कि अगर उसका अपना कोई प्रिय दोस्त भी उससे ज्यादा सफल हो जाए तो वह उससे भी क्रोधित हो जाता है. उसे लगता है कि अगर उसे सफलता हासिल करनी है तो सबसे अलग और सबसे आगे चलना पड़ेगा.
लेकिन दुर्भाग्यवश जो लोग ऐसा सोचते हैं वही सबसे ज्यादा पिछड़ जाते हैं. क्योंकि अकेले सफलता प्राप्त करना किसी भी रूप में संभव नहीं है. जब तक आप दूसरों के साथ चलना नहीं सीखेंगे तो आगे बढ़ना आपके लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा. लेकिन ऐसा कहने का मतलब यह नहीं है कि आप हमेशा दूसरों के भरोसे ही अपना काम करें बल्कि दूसरों के साथ मिलकर एक टीम की तरह काम करें. आप अपने साथ काम करने वाले लोगों पर कैसा प्रभाव डालते हैं यहीं आपकी नियति तय करता है.
कार्यक्षेत्र में सफलता पाने के लिए आपको अपने भीतर निम्नलिखित गुणों का विकास करना बहुत जरूरी है:
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