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मॉडर्न लाइफस्टाइल के कारण सर्वाइकल कैंसर की चपेट में आती युवतियां

lifestyle can cause cervical cancerविवाह से पूर्व या एक से अधिक व्यक्तियों के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करना जहां पूर्णत: अनैतिक माना जाता है वहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह घातक ही सिद्ध होता है. एक से अधिक व्यक्तियों के साथ संबंध बनाने से एचआईवी, एड्स जैसी यौन संक्रमित बीमारियां हो सकती हैं, जिनका परिणाम पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकता है.


अब तो हालात ऐसे बन गए हैं कि स्कूल, कॉलेज के बच्चे भी अपने लिए एक ऐसे साथी की तलाश करने लगे हैं जो उनकी सभी जरूरतों को पूरा कर सके. शारीरिक संबंधों के प्रति अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए किशोर और युवा बिना सोचे-समझे इनका अनुसरण करने लगे हैं.


युवाओं से परिपक्वता की उम्मीद करना बेमानी है. अपनी नासमझी में कभी-कभार वह ऐसे कदम उठा लेते हैं जिनका खामियाजा उन्हें आगे चलकर भुगतना पड़ता है. पुरुष प्रधान समाज होने के कारण महिलाओं को सामाजिक अवहेलना का सामना अपेक्षाकृत अधिक करना पड़ता है.


लेकिन एक नए अध्ययन के अनुसार कम उम्र में असुरक्षित शारीरिक संबंध स्थापित करने के कारण महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं.


ब्रिटेन की मैनचेस्टर विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि पिछले कई वर्षों में 20-30 आयुवर्ग की महिलाओं के सर्वाइकल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से प्रभावित होने जैसे मामलों में दोगुनी वृद्धि हुई है.


इस शोध के मुख्य शोधकर्ता रॉबर्ट आल्सटन का कहना है कि 1992-2000 तक के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो भले ही चिकित्सा के क्षेत्र में सुधार और नवीनता आने से सर्वाइकल कैंसर से प्रभावित लोगों की संख्या में कमी आई है लेकिन नब्बे के दशक से अब तक महिलाओं के इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आने के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है.


अध्ययन से जुड़े हाजेल नन का कहना है कि ऐसा इसीलिए हुआ है क्योंकि समय बदलने के साथ महिलाएं भी शारीरिक संबंधों के क्षेत्र में लापरवाही बरतने लगी हैं. शारीरिक परिपक्वता आने से पूर्व ही किसी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बना लेने से उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है.


सर्वाइकल कैंसर महिलाओं को प्रभावित करने वाली एक ऐसी बीमारी है जो गर्भाशय में कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि के कारण होती है.


ब्रिटेन में हुए इस अध्ययन को अगर हम भारतीय पृष्ठभूमि के आधार पर देखें तो यहां भी परिस्थितियां कुछ ज्यादा अलग नहीं हैं. जब से मनोरंजन पर सेक्स हावी होने लगा है तभी से समस्या भी और ज्यादा बढ़ने लगी है. निर्धारित और उचित आयु से पूर्व ही किशोर शारीरिक संबंधों के प्रति उत्सुक रहने लगे हैं. अपनी उत्सुकता को शांत करने के लिए वे गलत माध्यमों का सहारा लेते हैं. प्रेम रूपी भावनाओं को ना समझने वाले युवा शारीरिक आकर्षण को ही प्रेम की कसौटी मान लेते हैं. यही वजह है कि वे हर उस व्यक्ति के साथ संबंध बना लेते हैं जिसके साथ उनके अफेयर चलते हैं.


आधुनिक होती भारतीय महिलाओं की मानसिकता में उल्लेखनीय परिवर्तन देखे जा सकते हैं. भारतीय महिलाएं जिनसे हमेशा शालीनता की ही उम्मीद की जाती है वे भी विवाह पूर्व शारीरिक संबंधों में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी निभा रही हैं. उनके लिए अब सीमा और बंधन जैसी चीजें मायने नहीं रखतीं. एक से अधिक लोगों के साथ संबंध बनाना अब एक ट्रेंड बन गया है. इतना ही नहीं महिलाओं को इस बात से भी कोई आपत्ति नहीं होती कि उनके पार्टनर का उनसे पहले कितनी महिलाओं के साथ संबंध रहा है.


असुरक्षित और अनैतिक शारीरिक संबंधों के दुष्प्रभावों की चर्चा कोई नई बात नहीं है, उसी कड़ी में सर्वाइकल कैंसर एक कम प्रचलित नाम है. वैसे तो आजकल इसके प्रति जागरुक करने की भरपूर कोशिश की जा रही है लेकिन युवा मस्तिष्क किस बात को गंभीरता से लेते हैं यह कहना थोड़ा कठिन है.


सर्वाइकल कैंसर के कारण

ऐसे पार्टनर के साथ सेक्स करने से जिसके कई लोगों से यौन संबंध रहे हों या जिन महिलाओं का अंग प्रत्यारोपण हुआ हो उन्हें ये बीमारी होने की संभावना रहती है.


सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

शुरुआती अवस्था में सर्वाइकल कैंसर को लक्षणों द्वारा नहीं पहचाना जा सकता, लेकिन अगर वेजिनल डिस्चार्ज पीले, गुलाबी, भूरे, पानी सदृश हो और उससे दुर्गंध आती हो, तो आप चेकअप कराकर यह पता लगा सकती हैं. अगर योनि से रक्तस्राव हो रहा हो, इंटरकोर्स के बाद ब्लीडिंग होती हो, मीनोपॉज के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग हो, तो भी जांच जरूरी है. इसके सामान्य लक्षण भूख कम लगना, वजन घटना, थकान और बोन फ्रैक्चर आदि होते हैं.


सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए किए जाने वाले परीक्षण

इसके लिए कुछ स्पेशल टेस्ट होते हैं. इसको डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर बायोस्कोपी, कोल्पोस्कोपी, साइटोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी टेस्ट करते हैं. इसका इलाज ट्यूमर के आकार, समय और अवस्था पर निर्भर करता है. शुरुआती अवस्था में कैंसरयुक्त ऊतकों को बाहर निकाल दिया जाता है. साथ ही रेडिएशन और कीमोथेरेपी का भी इस्तेमाल किया जाता है.


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