बहुत से लोग टी.वी. देखते समय पॉपकॉर्न और स्नैक्स खाना पसंद करते हैं. दोस्तों के साथ कोई फिल्म देखनी हो या फिर परिवार के साथ बैठकर कोई लेटनाइट मैच, प्राय: लोग अपने साथ कुछ ना कुछ खाने के लिए जरूर रखते है. कोल्डड्रिंक या कॉफी का दौर तो चलता ही रहता है. दोस्तों के साथ वीडियोगेम खेलते हुए अत्याधिक कोल्डड्रिंक और पिज्जा जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना भी आज के युवाओं की आदत में शुमार हो गया है. इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति अकेला भी टी.वी. देख रहा है तो भी उसके हाथ में कुछ ना कुछ ऐसा खाने के लिए जरूर होता है, जो होता तो बहुत टेस्टी है लेकिन उसका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है. उदाहरण के लिए पैकेट में बंद चिप्स को ही ले लीजिए, जितने टेस्टी उतने ही ज्यादा नुकसानदेह.
अभिभावकों के लिए अपने युवा बच्चे को इन सब चीजों को खाने से रोकना बहुत कठिन हो जाता है. यह जानते हुए भी कि जंक-फूड और फास्ट-फूड उनके बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं, माता-पिता उन्हें रोक पाने में असहाय पड़ जाते हैं.
हाल ही में हुए एक शोध के अंतर्गत यह बात सामने आई है कि जो अभिभावक अपने बच्चे के स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं उन्हें शुरुआत से ही अपने बच्चे को टी.वी. और वीडियोगेम्स से दूर रखना चाहिए. आप उन्हें पिज्जा खाने से मना नहीं कर सकते लेकिन अगर आप उन्हें अन्य कामों में उलझाए रखेंगे तो वह कम टी.वी. देखेंगे, जिसके परिणामस्वरूप वह बर्गर और पिज्जा जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन भी कम ही करेंगे.
अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्यूमैन डेवलपमेंट से जुड़े प्रोफ्रेसर लीआह एम. लिप्सकी और रोनाल्ड जे. आयनोट्टी ने अमेरिकी किशोरों और उनकी टी.वी देखने की आदतों के बीच संबंध का पता लगाने के लिए यह अध्ययन संपन्न किया. उन्होंने दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले लगभग 12,462 किशोरों की जीवनशैली का गहन अध्ययन करने के बाद यह प्रमाणित किया है कि अगर बच्चे ज्यादा समय तक टी.वी. देखते है तो उनके फल, हरी सब्जियां जैसे हेल्दी और पौष्टिक खाने में कमी आने के साथ ज्यादा कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ जैसे बर्गर, पिज्जा, कोल्डड्रिंक के सेवन में वृद्धि हो जाती है. इसीलिए अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चे को टी.वी. से चिपकने का कोई भी मौका ना दें.
भले ही यह एक विदेशी अध्ययन है, जिसमें पाश्चात्य देशों की जीवनशैली को शामिल किया गया है. लेकिन भारतीय युवाओं और किशोरों के हालात भी उनसे कुछ ज्यादा अलग नहीं है. प्राय: देखा जाता है कि दोस्तों के साथ मैच या कोई फिल्म देखने से पहले वह खाने-पीने का प्रबंध कर लेते हैं. इस आयु वर्ग के बच्चों को पिज्जा, बर्गर, कोल्डड्रिंक और चिप्स बहुत पसंद होते हैं इसीलिए वह इन्हें ही अपने खान-पान में शामिल कर लेते हैं. छुट्टी के दिन अगर वह अकेले भी टी.वी देख रहे है तो उनके हाथ में एक चिप्स का पैकेट जरूर होता है. निश्चित रूप से ऐसी आदतें स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत हानिकारक हैं. स्वस्थ जीवन हर बच्चे का अधिकार है जिसकी सुरक्षा उनके माता-पिता के हाथ में है. अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चे के एक सुखद और सुनहरा भविष्य के लिए प्रयत्न करें, ना कि उनकी इन आदतों को बढ़ावा देकर उन्हें मोटापे, मधुमेह, दिल संबंधी जैसी हानिकारक बीमारियों से ग्रसित जीवन दें.
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