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तुम्हारी यादें,,,,

meriabhivyaktiya
meriabhivyaktiya
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कभी तरन्नुम सी
कभी तब्बसुम सी
कभी हल्की सी
कभी बहकी सी
तुम्हारी यादें ,,,

आज बहुत थाम के बैठी हूँ
इनको , पर,,

कभी बज उठती हैं,
कभी चमक उठती हैं,
कभी सिहर जाती हैं,
कभी बिखर जाती हैं।

कभी धूप सी,
कभी घटा सी
कभी पुष्प सी,
कभी लता सी,
तुम्हारी यादें,,,,

आज बहुत बांध कर बैठी हूँ
इनको पर,,,,

कभी खिल उठती हैं,
कभी बरस उठती हैं,
कभी महक जाती हैं,
कभी लिपट जाती हैं।

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